बिहार के वैशाली जिले में पुलिस हिरासत में हुई नासिर शाह की मौत को लेकर सियासत गरमाती जा रही है। इस बीच AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने महुआ में एक जनसभा के दौरान बिहार पुलिस और राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
महुआ के गांधी मैदान में जनसभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा कि जिस पुलिस ने नासिर शाह को हिरासत में लिया, वह “बहादुर नहीं बल्कि हिजड़ा पुलिस थी।” उन्होंने आरोप लगाया कि नासिर शाह की मौत के लिए वैशाली पुलिस और बिहार सरकार दोनों जिम्मेदार हैं। ओवैसी ने कहा कि अगर नासिर शाह किसी और समुदाय से होता, तो सरकार थाने के चौकीदार से लेकर थानाध्यक्ष तक सभी को निलंबित कर चुकी होती।
ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा से भी सवाल किए। उन्होंने पूछा कि आखिर एक निर्दोष व्यक्ति की पुलिस हिरासत में मौत होने के बाद भी अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई? ओवैसी ने कहा कि यह बहादुरी नहीं बल्कि इंसाफ पर हमला है। उन्होंने जनता से अपील की कि इस “नाइंसाफी का जवाब” वोट से दें और लोकतांत्रिक तरीके से अपनी आवाज बुलंद करें।
यह मामला बिहार के वैशाली जिले का है, जहां कुछ दिनों पहले 40 रुपए के आइसक्रीम विवाद को लेकर तनाव फैल गया था। बताया जाता है कि इस विवाद के बाद पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच झड़प हुई थी। कई थानों की पुलिस पर हमला हुआ, दर्जनों पुलिसकर्मी घायल हुए और वाहनों को नुकसान पहुंचा।
इसी मामले में पुलिस ने नासिर शाह को गिरफ्तार किया था। पुलिस हिरासत में रहने के दौरान उसकी तबीयत बिगड़ी और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
इस घटना ने न सिर्फ वैशाली, बल्कि पूरे बिहार की राजनीति को हिला दिया है। एक ओर विपक्ष सरकार पर कार्रवाई न करने का आरोप लगा रहा है, तो दूसरी ओर प्रशासन जांच की बात कह रहा है। लेकिन सवाल अब भी वही है — क्या नासिर शाह को इंसाफ मिलेगा?