सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि इस साल जून में अहमदाबाद में दुर्घटनाग्रस्त हुए एयर इंडिया के लंदन उड़ान के पायलट को कोई दोष नहीं ठहराया जा सकता। कोर्ट ने कहा, “इस त्रासदी का कारण चाहे जो भी हो, पायलट इसका कारण नहीं है।” इस विमान हादसे में 260 लोगों की मौत हो गई थी।
यह सुनवाई कमांडर सुमित सभरवाल के पिता, पुष्कर राज सभरवाल, द्वारा दायर याचिका पर हुई। याचिका में शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में न्यायिक निगरानी में दुर्घटना की स्वतंत्र जांच कराने का अनुरोध किया गया था। याचिका में आरोप लगाया गया कि प्रारंभिक जांच में गंभीर खामियां हैं और जांच दल ने तकनीकी तथ्यों के बजाय मुख्य रूप से मृत पायलटों पर ध्यान केंद्रित किया।
याचिका में यह भी कहा गया कि जांच रिपोर्ट में तथ्यों का चयनात्मक खुलासा, महत्वपूर्ण विसंगतियों की अनदेखी और प्रणालीगत कारणों को दबाया गया, जो विमान डिजाइन या इलेक्ट्रॉनिक खराबी से जुड़े हो सकते हैं। रिपोर्ट में बिना ठोस तकनीकी प्रमाण के जल्दबाजी में यह निष्कर्ष निकाल लिया गया कि घटना पायलट की गलती से हुई।
प्रतिवादी के रूप में भारत सरकार, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय और विमान दुर्घटना जांच बोर्ड (एएआईबी) को शामिल किया गया था। वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण ने कोर्ट में कहा कि उनके मुवक्किल निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच चाहते हैं, क्योंकि वर्तमान जांच स्वतंत्र नहीं है। उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि विमान दुर्घटनाओं की जांच नियम 12 के तहत न्यायिक निगरानी में की जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने पायलट को किसी भी आरोप से मुक्त घोषित किया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, “यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह दुर्घटना हुई, लेकिन किसी को यह जिम्मेदारी नहीं देनी चाहिए कि पायलट दोषी है।” न्यायमूर्ति बागची ने भी कहा कि रिपोर्ट का उद्देश्य दोष बांटना नहीं है, बल्कि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं से बचना है।
याचिकाकर्ता के वकील ने वॉल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित लेख का हवाला दिया, जिसमें पायलट पर आरोप लगाए गए थे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि विदेशी मीडिया की रिपोर्टिंग से किसी निष्कर्ष पर असर नहीं पड़ेगा।
सुनवाई के दौरान यह भी सामने आया कि प्रारंभिक जांच दल ने 91 वर्षीय पिता पुष्कर राज सभरवाल से व्यक्तिगत प्रश्न पूछे और उनके बेटे के मानसिक स्वास्थ्य पर अटकलें लगाईं। कोर्ट ने इस व्यवहार की आलोचना की और पायलट के प्रति किसी भी तरह के आरोप को पूरी तरह खारिज किया।
सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है और इस मामले की अगली सुनवाई 10 नवंबर को अन्य संबंधित मामलों के साथ की जाएगी।