झारखंड सरकार ने 1994 बैच की वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी तदाशा मिश्रा को राज्य की नई प्रभारी पुलिस महानिदेशक (DGP) नियुक्त किया है। गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने गुरुवार देर रात इस संबंध में अधिसूचना जारी की।
इससे पहले राज्य सरकार ने पूर्व डीजीपी अनुराग गुप्ता के त्यागपत्र को स्वीकार कर लिया, जिसे उन्होंने दो दिन पहले सौंपा था। उनके इस्तीफे के बाद सरकार ने तदाशा मिश्रा को राज्य पुलिस का सर्वोच्च दायित्व सौंपा है।
तदाशा मिश्रा झारखंड कैडर की अनुभवी आईपीएस अधिकारी हैं, जो वर्तमान में गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग में विशेष सचिव के पद पर कार्यरत थीं। इससे पहले वे रेल एडीजी (ADG Rail) और झारखंड सशस्त्र पुलिस (JAP) की एडीजी रह चुकी हैं। उन्होंने राज्य के कई जिलों में एसपी और डीआईजी के रूप में भी सेवाएं दी हैं।
उनका प्रशासनिक रिकॉर्ड अनुशासन, पारदर्शिता और संवेदनशील नेतृत्व के लिए जाना जाता है। मिश्रा दिसंबर 2025 में सेवानिवृत्त होंगी, यानी उन्हें लगभग एक वर्ष का कार्यकाल मिलेगा।
गृह विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है—
“कार्यहित में 1994 बैच की आईपीएस अधिकारी सुश्री तदाशा मिश्रा को झारखंड राज्य पुलिस का प्रभारी महानिदेशक नियुक्त किया जाता है। आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा।”
इसके साथ ही संबंधित पदभार हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है।
तदाशा मिश्रा की नियुक्ति झारखंड पुलिस में महिला नेतृत्व का नया अध्याय खोलती है। राज्य में यह दूसरी बार है जब किसी महिला अधिकारी को डीजीपी की जिम्मेदारी मिली है। विभिन्न महिला संगठनों और सामाजिक संस्थाओं ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे महिला सशक्तिकरण की दिशा में सार्थक पहल बताया है।
राज्य की नई डीजीपी के रूप में तदाशा मिश्रा के सामने कई बड़ी चुनौतियाँ हैं —
नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा तंत्र को और मजबूत बनाना
बढ़ते साइबर अपराधों और वित्तीय धोखाधड़ी पर रोक लगाना
जेल प्रशासन में पारदर्शिता लाना
महिला सुरक्षा और सड़क अपराध नियंत्रण पर प्राथमिकता देना
राज्य सरकार को विश्वास है कि तदाशा मिश्रा अपने अनुभव और दृढ़ नेतृत्व से झारखंड पुलिस को और अधिक अनुशासित, पारदर्शी और जनोन्मुख बल के रूप में स्थापित करेंगी।
तदाशा मिश्रा की नियुक्ति ने प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों में भी हलचल पैदा कर दी है। कई वरिष्ठ अधिकारी इसे “अनुभव और स्थिरता का संतुलित चयन” बता रहे हैं, जबकि कुछ इसे “राजनीतिक संतुलन साधने की रणनीति” के रूप में देख रहे हैं।