झारखंड में भ्रष्टाचार के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने मोर्चा खोल दिया है। सरकारी तंत्र में व्याप्त घोटालों की जांच के क्रम में एसीबी ने अब तक आईएएस अधिकारियों समेत 17 लोगों को गिरफ्तार किया है। आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे और गिरफ्तारियों की संभावना जताई जा रही है।
शराब घोटाले से सरकार को 38 करोड़ का नुकसान
राज्य में हुए शराब घोटाले ने पूरे प्रशासनिक ढांचे को हिला कर रख दिया है। इस मामले में एसीबी ने अब तक आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे समेत 14 लोगों को गिरफ्तार किया है। जांच में खुलासा हुआ है कि नियमों को ताक पर रखकर शराब बिक्री एजेंसियों का चयन किया गया, जिससे सरकार को लगभग 38 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
हालांकि इस केस में कई आरोपियों को जमानत मिल चुकी है, लेकिन जांच एजेंसी अब भी कई नए पहलुओं पर काम कर रही है।
अब तक गिरफ्तार हुए प्रमुख आरोपी:
आईएएस विनय कुमार चौबे
तत्कालीन संयुक्त आयुक्त (उत्पाद) गजेंद्र सिंह
पूर्व महाप्रबंधक (वित्त) सुधीर कुमार दास
पूर्व अभियान प्रभारी सुधीर कुमार
मार्शन एजेंसी के प्रतिनिधि नीरज कुमार सिंह
पूर्व उत्पाद आयुक्त अमित प्रकाश
छत्तीसगढ़ के शराब कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया
प्रिज्म होलोग्राफी के एमडी विधु गुप्ता
सुमित फैसिलिटीज के निदेशक अमित प्रभाकर सोलंकी
ओम साईं कंपनी के निदेशक अतुल कुमार सिंह और मुकेश मनचंदा
विजन हॉस्पिटैलिटी के निदेशक परेश अभेयसिंह ठाकोर, विक्रमासिंह ठाकोर और महेश शिडगे
ट्रस्ट की जमीन पर खेल: सरकारी घोषित कर निजी हाथों में सौंपा गया प्लॉट
एसीबी ने हजारीबाग की 2.75 एकड़ खासमहल भूमि से जुड़ा एक और बड़ा घोटाला उजागर किया है। यह जमीन वर्ष 1948 में एक ट्रस्ट को 30 वर्षों के लिए लीज पर दी गई थी, जिसकी अवधि 1978 में समाप्त हो गई थी।
आरोप है कि 2008 से 2010 के बीच प्रशासनिक षड्यंत्र के तहत इस भूमि को सरकारी घोषित कर 23 निजी व्यक्तियों को अवैध रूप से आवंटित कर दिया गया। इस मामले में तत्कालीन डीसी विनय कुमार चौबे और पूर्व आईएएस विनोद चंद्र झा की गिरफ्तारी हो चुकी है।
सरकारी भूमि के अवैध हस्तांतरण में तीन गिरफ्तार
एसीबी ने हजारीबाग में करोड़ों की सरकारी भूमि के अवैध हस्तांतरण का खुलासा किया है। यह भूमि गैर-मजरुआ खास जंगल श्रेणी में आती है, जिसे सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने संरक्षित वन क्षेत्र घोषित किया था।
जांच में पता चला कि यह जमीन विनय कुमार सिंह और उनकी पत्नी स्निग्धा सिंह के नाम पर गलत तरीके से दाखिल-खारिज कर दी गई थी। उस समय भी जिले के डीसी विनय चौबे ही थे। इस मामले में नेक्सजेन ऑटोमोबाइल्स के मालिक विनय कुमार सिंह और विजय प्रताप सिंह को गिरफ्तार किया गया है।