झारखंड सरकार ने छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (CNT Act), 1908 की धारा 49 के अंतर्गत भूमि हस्तांतरण के लिए ऑनलाइन फाइल किए गए आवेदन की ताज़ा रिपोर्ट जारी की है। भू-राजस्व विभाग के अनुसार, राज्यभर में अब तक कुल 1,151 आवेदन उपायुक्त कार्यालयों में दाखिल किए गए हैं। इनमें से 423 मामलों का निपटारा किया जा चुका है, जबकि 448 आवेदन अब भी लंबित हैं। ये आंकड़े 07 नवंबर 2025 तक के हैं।
धारा 49 के तहत अनुसूचित जनजाति और रैयत समुदाय की भूमि को गैर-आदिवासी या किसी संस्था को हस्तांतरित करने से पहले उपायुक्त से अनुमति लेना अनिवार्य है। इसका मुख्य उद्देश्य आदिवासी भूमि की रक्षा करना, अवैध खरीद-बिक्री रोकना और भूमि अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। केवल विशेष परिस्थितियों में, जैसे कि सार्वजनिक हित या विकास परियोजना, अनुमति दी जाती है।
पलामू: 309 आवेदन, 19 निपटाए गए, 216 लंबित
लातेहार: 182 आवेदन, 82 निपटाए गए, 43 लंबित
सराइकेला-खरसावां: 182 आवेदन, 53 निपटाए गए, 23 लंबित
धनबाद: 74 आवेदन, 24 निपटाए गए, 36 लंबित
रामगढ़: 70 आवेदन, 65 निपटाए गए, 5 लंबित
हजारीबाग: 58 आवेदन, 34 निपटाए गए, 24 लंबित
रांची: 13 आवेदन, 1 निपटाया गया, 12 लंबित
बोकारो: 73 आवेदन, 61 निपटाए गए, 11 लंबित
राज्यभर में एक आवेदन के निपटान में औसतन 378 दिन लग रहे हैं। सर्वाधिक समय सराइकेला-खरसावां में 1,494 दिन और न्यूनतम समय रामगढ़ में 1 दिन दर्ज किया गया। कुछ जिलों में जैसे खूंटी (923 दिन) और रांची (1,489 दिन) में निपटान प्रक्रिया बेहद धीमी रही।
भू-राजस्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कई जिलों में आवेदन लंबित हैं क्योंकि उनकी जांच, सत्यापन और स्थानीय आपत्तियों का समाधान लंबी प्रक्रिया में फंसा हुआ है। विभाग ने सभी उपायुक्तों को निर्देश दिया है कि वे लंबित आवेदनों की साप्ताहिक समीक्षा करें और CNT Act के उद्देश्यों के अनुरूप समयबद्ध और पारदर्शी निपटान सुनिश्चित करें।