अब निजी कॉलेजों की मनमानी फीस पर लगेगी रोक, राज्यपाल ने विधेयक को दी मंजूरी

अब निजी कॉलेजों की मनमानी फीस पर लगेगी रोक, राज्यपाल ने विधेयक को दी मंजूरी

By : स्वराज पोस्ट | Edited By: Urvashi
Updated at : Nov 12, 2025, 11:05:00 AM

झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने राज्य विधानसभा द्वारा पारित ‘झारखंड व्यावसायिक शिक्षण संस्थान (शुल्क विनियमन) विधेयक, 2025’ को अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है। यह विधेयक मानसून सत्र के दौरान विधानसभा में पारित होकर राज्यपाल के अनुमोदन के लिए भेजा गया था। अब विधि विभाग द्वारा अधिसूचना जारी होते ही यह अधिनियम लागू हो जाएगा।

इस कानून के लागू होने के बाद झारखंड में निजी व्यावसायिक शिक्षण संस्थानों, जैसे इंजीनियरिंग और प्रबंधन कॉलेजों, द्वारा ली जाने वाली अनुचित और मनमानी फीस पर नियंत्रण होगा। अब इन संस्थानों की फीस का निर्धारण राज्य सरकार द्वारा संस्थान की आधारभूत संरचना, शिक्षकों की संख्या और उपलब्ध सुविधाओं के आधार पर किया जाएगा।

विधेयक का मुख्य उद्देश्य राज्य के छात्रों और अभिभावकों को राहत प्रदान करना तथा निजी संस्थानों द्वारा मनमाने शुल्क वसूली पर अंकुश लगाना है। सरकार को इस विषय में लगातार शिकायतें प्राप्त हो रही थीं कि कई कॉलेज अनुचित रूप से अत्यधिक शुल्क वसूल रहे हैं।

इस विधेयक में सर्वोच्च न्यायालय के दो ऐतिहासिक निर्णयोंइस्लामिक एकेडमिक ऑफ एजुकेशन बनाम कर्नाटक राज्य (2003) तथा पी.ए. इनामदार बनाम महाराष्ट्र राज्य (2005) — का भी उल्लेख किया गया है। न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि शिक्षण संस्थानों को शुल्क निर्धारण का अधिकार है, लेकिन मुनाफाखोरी और कैपिटेशन फीस पूरी तरह वर्जित है।
महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों में पहले से ही शुल्क नियंत्रण तंत्र लागू है, जबकि झारखंड में अब तक ऐसा कोई प्रावधान नहीं था।

महिला और एकल पुरुष शिक्षकों को मिलेगी 730 दिनों की चाइल्ड केयर लीव

राज्यपाल सह विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति संतोष कुमार गंगवार ने विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में कार्यरत महिला शिक्षकों और कर्मचारियों को दो वर्ष (730 दिन) की चाइल्ड केयर लीव देने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है।

नई व्यवस्था के अनुसार, यह सुविधा एकल पुरुष शिक्षकों और कर्मियों को भी प्राप्त होगी। वे अपनी सेवा अवधि के दौरान अधिकतम दो बार इस अवकाश का लाभ उठा सकेंगे। पहले 365 दिनों के लिए पूर्ण वेतन और अगले 365 दिनों के लिए 80 प्रतिशत वेतन दिया जाएगा।

दो परिनियमों में संशोधन को मिली स्वीकृति

राज्यपाल ने दो महत्वपूर्ण परिनियमों में संशोधन को भी स्वीकृति दी है —

  1. यूजीसी विनियम 2018 के अनुरूप तैयार “विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में शिक्षकों, विश्वविद्यालय अधिकारियों और अन्य शैक्षणिक कर्मियों की नियुक्ति हेतु न्यूनतम योग्यताओं एवं उच्च शिक्षा में मानकों के रखरखाव के उपाय-2022” में संशोधन।

  2. विश्वविद्यालय मुख्यालयों और उनके अधीनस्थ कॉलेजों (अंगीभूत महाविद्यालयों सहित) में गैर-शिक्षण कर्मियों की नियुक्ति, पदोन्नति और संवर्ग संरचना को सातवें वेतन आयोग की अनुशंसाओं के अनुरूप संशोधित किया गया है।

इन संशोधनों से राज्य के उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षकों और कर्मचारियों के हितों की सुरक्षा के साथ-साथ शैक्षणिक व्यवस्था में पारदर्शिता और गुणवत्ता को भी मजबूती मिलेगी।