झारखंड में अब हाई-टेक होगी अपराध की जांच, सरकार ने लागू किया ई-साक्ष्य प्रबंधन नियम 2025

झारखंड में अब हाई-टेक होगी अपराध की जांच, सरकार ने लागू किया ई-साक्ष्य प्रबंधन नियम 2025

By : स्वराज पोस्ट | Edited By: Urvashi
Updated at : Nov 25, 2025, 1:22:00 PM

झारखंड सरकार के गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने अपराध जांच प्रणाली को आधुनिक बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए ई-साक्ष्य मैनेजमेंट रूल्स 2025 को अधिसूचित कर दिया है। ये नियम सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के प्रावधानों के अनुरूप तैयार किए गए हैं। सरकार का कहना है कि नई व्यवस्था से अपराध स्थल से लेकर कोर्ट तक साक्ष्यों की पूरी प्रक्रिया अधिक पारदर्शी, व्यवस्थित और भरोसेमंद बनेगी।

हर डिजिटल साक्ष्य होगा CTNS और ICJS से लिंक

नियमों के अनुसार, अपराध से जुड़े सभी डिजिटल साक्ष्यों को सीसीटीएनएस और आईसीजेएस प्लेटफॉर्म से अनिवार्य रूप से जोड़ा जाएगा। जांच अधिकारी को हर डिजिटल साक्ष्य के लिए 16 अंकों का विशेष SID तैयार करना होगा और उसे संबंधित केस नंबर से लिंक करना होगा।

घटनास्थल की वीडियो और फोटो रिकॉर्डिंग जरूरी

अब किसी भी आपराधिक घटना की वीडियो–फोटो रिकॉर्डिंग करना अनिवार्य होगा। जांच अधिकारी को ई-साक्ष्य मोबाइल ऐप का उपयोग कर सभी दृश्य, फोटो और डिजिटल डाटा रिकॉर्ड करना होगा। रिकॉर्डिंग पूरी होते ही अधिकारी द्वारा एक ई-साइंड इलेक्ट्रॉनिक प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा, जो कानूनी रूप से मान्य साक्ष्य माना जाएगा।
अदालतें आईसीजेएस पोर्टल पर इन सभी डिजिटल साक्ष्यों को देख सकेंगी और आवश्यकता पड़ने पर मजिस्ट्रेट के साथ भी इन्हें ऑनलाइन साझा किया जा सकेगा। भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 230 के अंतर्गत पीड़ित या अभियुक्त को भी अदालत की अनुमति से ये साक्ष्य उनके वकील के माध्यम से उपलब्ध कराए जा सकेंगे।

साक्ष्यों की डिजिटल सुरक्षा

मुकदमा समाप्त होने के बाद भी सभी डिजिटल साक्ष्य आर्काइव मोड में सुरक्षित रखे जाएंगे, ताकि भविष्य में जरूरत पड़ने पर उन्हें पुनः उपयोग में लाया जा सके। ई-साक्ष्य पैकेट में यूनिक आईडी, टाइम-स्टैम्प, जियो-लोकेशन और हैश वैल्यू जैसे सुरक्षा तत्व शामिल होंगे, जो साक्ष्य की प्रामाणिकता और छेड़छाड़रोधी स्वरूप सुनिश्चित करते हैं।

ई-साक्ष्य क्या होता है?

ई-साक्ष्य वह डिजिटल प्रमाण है जिसे ई-साक्ष्य मोबाइल ऐप के माध्यम से डिजिटली रिकॉर्ड किया जाता है। इसमें घटनास्थल का वीडियो, तस्वीरें, गवाहों की छवियां और अन्य डिजिटल फाइलें शामिल होती हैं। हर साक्ष्य को एक सुरक्षित डिजिटल पैकेट के रूप में संग्रहित किया जाता है, जिसमें SID नंबर, टाइम-स्टैम्प, लोकेशन और हैश वैल्यू होती है, ताकि उसे बदला या छेड़ा न जा सके।