महिला मुंशी की तैनाती पर झारखंड पुलिस में विवाद गहराया, एडीजी प्रिया दुबे और डीजीपी कार्यालय आमने-सामने

महिला मुंशी की तैनाती पर झारखंड पुलिस में विवाद गहराया, एडीजी प्रिया दुबे और डीजीपी कार्यालय आमने-सामने

By : स्वराज पोस्ट | Edited By: Urvashi
Updated at : Oct 07, 2025, 4:10:00 PM

झारखंड पुलिस महकमे में इन दिनों महिला मुंशी की तैनाती को लेकर खींचतान तेज हो गई है। झारखंड सशस्त्र पुलिस (JAP), इंडियन रिजर्व बटालियन (IRB) और स्पेशल इंडियन रिजर्व बटालियन (SIRB) की 212 महिला पुलिसकर्मियों की थानों में मुंशी के रूप में तैनाती पर विवाद बढ़ गया है। इस मुद्दे पर एडीजी प्रिया दुबे और डीजीपी कार्यालय के बीच लेटर वार जारी है।

लगातार हो रहा है पत्राचार

एडीजी प्रिया दुबे ने डीजीपी कार्यालय द्वारा जारी किए गए महिला आरक्षियों के तबादले और प्रतिनियुक्ति आदेश को नियमविरुद्ध बताया है। उन्होंने इस मामले में दो बार डीजीपी को पत्र लिखकर आपत्ति दर्ज कराई है। एडीजी ने अपने पत्र में कहा है कि अब तक किसी भी डीजीपी ने इस तरह सीधे जिलों में पदस्थापना का आदेश नहीं दिया है, जो नियमों के विरुद्ध है।

उन्होंने 4 अक्टूबर को अपने नियंत्रण वाले जैप, आईआरबी और एसआईआरबी के सभी बटालियनों को यह निर्देश दिया कि डीजीपी कार्यालय के आदेश का पालन न किया जाए और किसी भी पुलिसकर्मी को थाने भेजने से रोका जाए।

पहले भी जताई थी नाराजगी

इससे पहले एडीजी दुबे ने डीआईजी (कार्मिक) को पत्र लिखकर महिला पुलिसकर्मियों की थानों में तैनाती पर सवाल उठाए थे। उन्होंने अपने हालिया पत्र में 25 सितंबर को जारी डीजीपी के आदेश को रद्द करने की मांग की है। एडीजी ने दलील दी कि यह आदेश पुलिस बल की 15% बिना हथियार ड्यूटी की सीमा का उल्लंघन करता है।

उन्होंने बताया कि कई बटालियनों में पहले से ही यह सीमा पार हो चुकी है —

  • आईआरबी-1 में 40%

  • आईआरबी-8 में 37%

  • आईआरबी-10 में 34%

  • जैप-7 में 40% बल पहले से ही गैर-आर्म्स ड्यूटी में है।

उग्रवाद विरोधी बल की तैनाती पर आपत्ति

एडीजी प्रिया दुबे ने स्पष्ट किया है कि आईआरबी और जैप का गठन उग्रवाद और विधि-व्यवस्था से निपटने के लिए किया गया था, और इनके जवानों को हथियार आधारित अभियान के लिए प्रशिक्षित किया गया है। ऐसे में उन्हें थानों में मुंशी कार्य के लिए भेजना बल की मूल भूमिका और प्रशिक्षण को निष्प्रभावी बना देगा।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वर्तमान आदेश में डीजीपी द्वारा गठित स्थानांतरण बोर्ड की अनुशंसा को नजरअंदाज कर दिया गया है।

बोर्ड की सिफारिश को दरकिनार करने का आरोप

एडीजी ने अपने पत्र में कहा कि 28 जनवरी 2025 को जैप और आईआरबी कर्मियों के स्थानांतरण के लिए एक बोर्ड का गठन किया गया था, जिसके अनुसार तबादले की अनुशंसा एडीजी (जैप) के अनुमोदन से ही होनी थी। मगर इस आदेश में न तो बोर्ड की मंजूरी ली गई और न ही एडीजी का अनुमोदन।

उन्होंने यह भी लिखा कि थानों में कर्मियों की प्रतिनियुक्ति की जिम्मेदारी संबंधित एसएसपी और एसपी की होती है, न कि पुलिस मुख्यालय की।

244 महिला पुलिसकर्मी भेजी गईं थानों में

वहीं दूसरी ओर, डीजीपी कार्यालय के निर्देश पर हाल ही में 244 महिला आरक्षियों को ट्रेनिंग के बाद राज्यभर के थानों में तैनात किया गया है। जिलों के एसएसपी और एसपी को यह निर्देश दिया गया कि 27 सितंबर से 11 अक्टूबर के बीच महिला आरक्षियों को थानों में व्यावहारिक प्रशिक्षण दिलाया जाए।

प्रत्येक थाना में कम से कम तीन महिला पुलिसकर्मियों को मुंशी कार्य के लिए नियुक्त करने का आदेश दिया गया था। साथ ही निर्देश दिया गया कि प्रशिक्षित महिला मुंशियों से केवल कार्यालयी कार्य ही कराया जाए, उन्हें अन्य ड्यूटी में न लगाया जाए।

विवाद के सुलझने के आसार नहीं

फिलहाल, एडीजी प्रिया दुबे और डीजीपी कार्यालय के बीच इस मुद्दे पर तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है। एक ओर जहां एडीजी इस आदेश को बल की संरचना और नीति के खिलाफ बता रही हैं, वहीं डीजीपी कार्यालय इसे महिला सशक्तिकरण और प्रशासनिक दक्षता से जोड़कर सही ठहरा रहा है।