रिम्स (राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) की व्यवस्थाओं को लेकर झारखंड हाई कोर्ट ने एक बार फिर कड़ा रुख अपनाया है। मुख्य न्यायाधीश त्रिलोक सिंह चौहान की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान रिम्स की वर्तमान स्थिति पर गंभीर चिंता जताई। कोर्ट ने कहा कि 62वीं गवर्निंग बॉडी की बैठक में लिए गए निर्णयों को दो महीने के भीतर लागू करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन अब तक कोई ठोस प्रगति नजर नहीं आ रही।
याचिकाकर्ता ज्योति शर्मा की ओर से अदालत को बताया गया कि रिम्स प्रशासन केवल हलफनामा जमा करता है, लेकिन जमीन पर कोई वास्तविक कार्रवाई नहीं होती।
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता दीपक दुबे ने भी कोर्ट से अनुरोध किया कि रिम्स की व्यवस्थाओं की पारदर्शी और विस्तृत जांच के लिए एक विशेष टीम बनाई जाए। इस पर हाई कोर्ट ने JHALSA के सचिव को निर्देश दिया कि वे एक जांच समिति का गठन करें और उसे रिम्स भेजकर सभी व्यवस्थाओं का निरीक्षण करवाएं।
जांच टीम रिम्स में निम्नलिखित पहलुओं की समीक्षा करेगी:
-स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता
-मशीनरी और उपकरणों की स्थिति
-दवाओं की कमी और बाहरी खरीद
-अस्पताल की स्वच्छता
=डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस
-अन्य चिकित्सा सेवाओं की कार्यशीलता
हाई कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए कि निरीक्षण रिपोर्ट 10 दिनों के भीतर प्रस्तुत की जाए।
राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि दो महीने की समयसीमा अभी पूरी नहीं हुई है और निर्णयों के कार्यान्वयन की प्रक्रिया जारी है। साथ ही MRI मशीन की खरीद जल्द पूरी करने का आश्वासन भी दिया गया। मामले की अगली सुनवाई 3 दिसंबर को निर्धारित की गई है।