हजारीबाग फर्जी FIR मामले में NTPC के पूर्व GM को झटका, HC ने निचली अदालत की कार्रवाई रोकने वाला आदेश वापस लिया

हजारीबाग फर्जी FIR मामले में NTPC के पूर्व GM को झटका, HC ने निचली अदालत की कार्रवाई रोकने वाला आदेश वापस लिया

By : स्वराज पोस्ट | Edited By: Urvashi
Updated at : Nov 22, 2025, 1:32:00 PM

हजारीबाग जिले के बड़कागांव में दर्ज फर्जी एफआईआर मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है। हाईकोर्ट के जस्टिस अनिल चौधरी की अदालत ने निचली अदालत की कार्यवाही पर लगी रोक को हटा दिया है। इस संबंध में अधिवक्ता मनीष कुमार ने पक्ष रखते हुए बहस की, जिसके बाद कोर्ट ने अंतरिम राहत खत्म करने का फैसला सुनाया।

यह मामला एनटीपीसी के पूर्व जीएम टी. गोपाल कृष्ण द्वारा दायर याचिका से जुड़ा है। उन्होंने निचली अदालत द्वारा जारी समन पर रोक लगाने की मांग की थी। निचली अदालत—न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी शिवानी शर्मा की कोर्ट—ने तत्कालीन गढ़वा बीडीओ कुमुद झा, मधुपुर इंस्पेक्टर रामदयाल मुंडा, स्पेशल ब्रांच इंस्पेक्टर अकील अहमद, सेवानिवृत्त डीएसपी अखिलेश सिंह और एनटीपीसी के रिटायर्ड जीएम टी. गोपाल कृष्ण को आरोपी मानते हुए समन जारी किया था।

2016 के चिरुडीह प्रकरण में आवेदन बदलने का आरोप

17 मई 2016 को चिरुडीह में हुई मारपीट की घटना से जुड़े बड़कागांव थाना कांड संख्या 135/16 में यह विवाद सामने आया था। आरोप है कि तत्कालीन कार्यपालक दंडाधिकारी कुमुद झा द्वारा दिए गए आवेदन को बड़कागांव के तत्कालीन थानेदार रामदयाल मुंडा ने बदल दिया और उसमें 29 अतिरिक्त लोगों के नाम जोड़ दिए।

कुमुद झा ने अदालत में अपने बयान में स्वीकार किया कि उनके हाथ से लिखे आवेदन को बदलकर थानेदार ने मुंशी से टाइप करवाकर एफआईआर दर्ज कराई। मूल एफआईआर कॉपी और उनके कोर्ट में किए गए हस्ताक्षर तथा तिथि में स्पष्ट अंतर पाया गया।

कोर्ट ने माना प्रथम दृष्टया दोषी

मंटू सोनी द्वारा दायर परिवाद वाद संख्या 1644/22 की सुनवाई में अधिवक्ता अनिरुद्ध कुमार, पवन यादव और रंजन कुमार की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने पाया कि आरोप गंभीर हैं। कोर्ट ने आईपीसी की धारा 166, 166ए, 167, 218 और 220 के तहत सभी आरोपियों को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए समन जारी किया था और 20 नवंबर को पेश होने का आदेश दिया था।

इन सभी अधिकारियों की पोस्टिंग उस समय बड़कागांव, हजारीबाग में थी।

यह पूरा मामला हजारीबाग सदर सीजीएम ऋचा श्रीवास्तव की अदालत में दायर परिवादवाद से शुरू हुआ था, जिसे आगे चलकर ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट शिवानी शर्मा की अदालत में स्थानांतरित किया गया। अब हाईकोर्ट द्वारा अंतरिम राहत हटाए जाने के बाद निचली अदालत में सुनवाई का रास्ता साफ हो गया है।