झारखंड के विभिन्न अंचल कार्यालयों में जमीन से संबंधित कार्यों को लेकर लोगों की परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है। दाखिल-खारिज, गलत जमाबंदी, लगान भुगतान, भूमि मापी में देरी और रिश्वतखोरी जैसी शिकायतों की बाढ़ आ गई है। बड़ी संख्या में भू-स्वामियों ने इन मुद्दों को लेकर शिकायतें दर्ज कराई हैं।
भू-राजस्व विभाग के ताजा आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में अब तक 53,690 शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इनमें से 21,610 मामलों का निपटारा किया जा चुका है, जबकि 20,911 शिकायतों को खारिज कर दिया गया। 6,126 शिकायतों में शिकायतकर्ताओं ने आगे रुचि नहीं दिखाई, वहीं 5,043 मामले अभी भी लंबित हैं।
| जिला | शिकायतों की संख्या |
|---|---|
| सरायकेला-खरसावां | 2,725 |
| सिमडेगा | 4,105 |
| धनबाद | 3,234 |
| बोकारो | 3,792 |
| रांची | 4,832 |
| पूर्वी सिंहभूम | 10,192 |
दाखिल-खारिज में गड़बड़ी: जानबूझकर देरी या गलत प्रविष्टि।
जमाबंदी रिकॉर्ड में त्रुटि: नाम या खाता संख्या में बदलाव/गलती।
सरकारी जमीन को निजी दिखाना: सरकारी भूमि को रैयती बताकर नामांतरण कराना।
लगान भुगतान: भुगतान के बाद भी ऑनलाइन रिकॉर्ड अपडेट न होना।
भूमि मापी में पक्षपात: अमीनों द्वारा मापी में देरी या एकतरफा कार्रवाई।
प्रमाण पत्र वितरण में देरी: आय, जाति और निवास प्रमाण पत्र जारी करने में अनावश्यक विलंब।
भ्रष्टाचार: कार्य निष्पादन के बदले रिश्वत मांगने के आरोप।
जनता से अनुचित व्यवहार: अंचल अधिकारियों व कर्मचारियों का असहयोगपूर्ण रवैया।
सरकारी योजनाओं में गड़बड़ी: पेंशन, आवास जैसी योजनाओं से पात्रों को वंचित रखना।
दस्तावेजों की अनुपलब्धता: भूमि संबंधी आवश्यक कागजात न मिल पाना।
भू-राजस्व विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लंबित शिकायतों के निस्तारण की प्रक्रिया तेजी से की जा रही है और जिलों को समयसीमा में समाधान सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।