नये रूप में विकसित होगा उलिहातू का बिरसा ओड़ा, ढाई करोड़ की लागत से होगा सौंदर्यीकरण

नये रूप में विकसित होगा उलिहातू का बिरसा ओड़ा, ढाई करोड़ की लागत से होगा सौंदर्यीकरण

By : स्वराज पोस्ट | Edited By: Urvashi
Updated at : Nov 11, 2025, 12:44:00 PM

 भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर उनके पैतृक गांव उलिहातू स्थित बिरसा ओड़ा को एक नया और पारंपरिक ट्राइबल लुक देने की तैयारी शुरू हो गई है। राज्य सरकार ने इसके सौंदर्यीकरण और जीर्णोद्धार के लिए ढाई करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दे दी है। स्वीकृति मिलते ही जिला प्रशासन और पर्यटन विभाग ने कार्ययोजना पर अमल शुरू कर दिया है।

बिरसा ओड़ा परिसर को मिलेगा नया पारंपरिक स्वरूप

इस परियोजना के तहत बिरसा ओड़ा के मुख्य द्वार का पुनर्निर्माण पारंपरिक आदिवासी डिजाइन में किया जाएगा, ताकि प्रवेश करते ही आगंतुकों को आदिवासी संस्कृति की झलक मिल सके। परिसर में स्थापित भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा के चारों ओर आकर्षक लैंडस्केपिंग और सजावट की जाएगी। संपूर्ण क्षेत्र को बिरसा मुंडा के जीवन, संघर्ष और जनजातीय परंपराओं को केंद्र में रखकर विकसित किया जा रहा है।

केंद्र सरकार से भी मिली बड़ी सहायता

इस बीच, भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय ने भगवान बिरसा मुंडा टूरिस्ट सर्किट के निर्माण के लिए 40 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी है और इसके लिए राशि भी आवंटित कर दी गई है। इस परियोजना के अंतर्गत बिरसा मुंडा से जुड़े छह गांवों को जोड़ा गया है। नए साल से इसके कार्य आरंभ होने की संभावना है।

उलिहातू बनेगा पर्यटन का नया केंद्र

जिला पर्यटन पदाधिकारी राजेश चौधरी ने बताया कि वर्तमान में बिरसा ओड़ा की दीवारों और पेंटिंग्स में दिखने वाला स्वरूप बिरसा मुंडा की असली सांस्कृतिक पहचान को नहीं दर्शाता। इसलिए सरकार ने इसे मूल आदिवासी कला और परंपरा के अनुरूप नया रूप देने का निर्णय लिया है। इस विकास कार्य में पारंपरिक चित्रकला, मूर्तिकला, भित्तिचित्र और प्राकृतिक सौंदर्य को प्रमुखता दी जाएगी, जिससे यह स्थल राज्य और देशभर के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सके।

आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्थल बनेगा बिरसा ओड़ा

परियोजना के पूरा होने के बाद उलिहातू न केवल धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से, बल्कि पर्यटन के लिहाज से भी एक नई पहचान हासिल करेगा। सरकार का उद्देश्य है कि इस विकास कार्य के माध्यम से बिरसा मुंडा के विचारों, संघर्ष और उनकी सांस्कृतिक धरोहर को आने वाली पीढ़ियां और गहराई से समझ सकें।