घाटशिला उपचुनाव से पहले JMM की अहम बैठक, दांव पर सीएम हेमंत और पूर्व सीएम चंपाई की साख

घाटशिला उपचुनाव से पहले JMM की अहम बैठक, दांव पर सीएम हेमंत और पूर्व सीएम चंपाई की साख

By : स्वराज पोस्ट | Edited By: Urvashi
Updated at : Oct 07, 2025, 9:41:00 AM

घाटशिला विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव की तारीख का ऐलान चुनाव आयोग ने सोमवार को कर दिया। 11 नवंबर को मतदान होगा और 14 नवंबर को बिहार विधानसभा चुनावों के नतीजों के साथ ही घाटशिला का परिणाम भी घोषित किया जाएगा।
पूर्व शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के निधन के बाद यह उपचुनाव हो रहा है, जो न केवल सत्ताधारी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए प्रतिष्ठा की परीक्षा है, बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के राजनीतिक प्रभाव की भी कसौटी माना जा रहा है।

जेएमएम ने बुलाई 15 अक्टूबर को अहम बैठक
उपचुनाव की घोषणा के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की विस्तारित बैठक 15 अक्टूबर को बुलाने का फैसला किया है। यह बैठक सुबह 11 बजे हरमू स्थित सोहराई भवन में होगी।
बैठक में जेएमएम की केंद्रीय समिति, जिला अध्यक्ष, सचिव, संयोजक और महानगर इकाइयों के पदाधिकारी शामिल होंगे। इस दौरान घाटशिला उपचुनाव, बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के साथ-साथ पार्टी की सांगठनिक स्थिति, सदस्यता अभियान और राजनीतिक परिस्थितियों की समीक्षा की जाएगी।

पहले उपचुनाव से सरकार की साख जुड़ी
यह उपचुनाव हेमंत सोरेन सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बड़ा चुनावी मुकाबला है, इसलिए इसे सरकार की लोकप्रियता से भी जोड़ा जा रहा है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि जेएमएम दिवंगत विधायक रामदास सोरेन के बेटे सोमेश सोरेन को टिकट दे सकती है, जबकि भाजपा की ओर से चंपाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन को उम्मीदवार बनाए जाने की संभावना है।
हालांकि, दोनों दलों की ओर से आधिकारिक घोषणा अभी बाकी है। गौरतलब है कि 2024 के विधानसभा चुनाव में रामदास सोरेन ने बाबूलाल सोरेन को 22 हजार से अधिक वोटों से पराजित किया था, ऐसे में बीजेपी के लिए यह मुकाबला चुनौतीपूर्ण रहेगा।

जयराम महतो का फैसला भी बनेगा बड़ा फैक्टर
इस चुनाव में जयराम महतो की भूमिका पर भी सभी की नजरें टिकी हैं। पिछली बार उनकी पार्टी जेएलकेएम के उम्मीदवार को करीब 8 हजार वोट मिले थे, जिससे मुकाबले पर असर पड़ा था।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जयराम इस बार अपना उम्मीदवार उतारते हैं या नहीं। डुमरी उपचुनाव में उन्होंने उम्मीदवार नहीं दिया था, जिससे जेएमएम की बेबी देवी को जीत मिली थी। हालांकि, उस वक्त हेमंत सोरेन ने बेबी देवी को मंत्री बनाकर सहानुभूति लहर को मजबूत किया था।
घाटशिला में इस बार ऐसा नहीं हुआ है — रामदास सोरेन के बड़े बेटे सोमेश को मंत्री नहीं बनाया गया है। इसके बावजूद पार्टी के संकेत साफ हैं कि वे ही उम्मीदवार होंगे।

उधर, एनडीए की कोशिश है कि जयराम महतो को अपने पक्ष में लाया जाए। हालांकि जयराम ने अभी तक कोई रुख स्पष्ट नहीं किया है। उनका सितंबर में घाटशिला दौरा होना था, लेकिन तबीयत खराब होने के कारण कार्यक्रम रद्द कर दिया गया। तब से लेकर अब तक उनकी ओर से कोई सक्रियता नहीं दिखाई दी है।