आईआईटी-आईएसएम धनबाद ने देश की सभी आईआईटी में पहली बार एक अनोखा और बहुआयामी कोर्स ‘जियोआर्कियोलॉजी’ (Geoarchaeology) शुरू करने की घोषणा की है। यह कोर्स आने वाले विंटर सेमेस्टर से बी.टेक, एम.टेक और पीएचडी के विद्यार्थियों के लिए एक 3-क्रेडिट ओपन इलेक्टिव के रूप में शुरू होगा।
‘जियोआर्कियोलॉजी’ एक ऐसा विषय है जो भूविज्ञान, पुरातत्व, पर्यावरण विज्ञान और मानव अध्ययन को एक साथ जोड़ता है। इस कोर्स का उद्देश्य यह समझना है कि समय के साथ इंसान और प्रकृति के बीच किस तरह का संबंध विकसित हुआ। यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के उस विचार से प्रेरित है जिसमें शिक्षा को अधिक लचीला और बहुविषयी बनाने पर बल दिया गया है।
विज्ञान और मानविकी के बीच सेतु का निर्माण
संस्थान ने बताया कि यह नया कोर्स विज्ञान और मानविकी के बीच की दूरी को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। छात्रों को इसमें यह जानने का अवसर मिलेगा कि अतीत की जलवायु और भौगोलिक परिवर्तनों ने मानव सभ्यता को कैसे आकार दिया और मनुष्य ने अपने पर्यावरण को किस प्रकार प्रभावित किया।
कोर्स के दौरान विद्यार्थियों को पुरातत्व से जुड़ी तकनीकें जैसे खुदाई (Excavation), नमूना संग्रह (Sampling) और कलाकृतियों का विश्लेषण (Artifact Study) सिखाया जाएगा। साथ ही आधुनिक वैज्ञानिक पद्धतियां जैसे बायोमार्कर और आइसोटोप एनालिसिस, जियोमैपिंग और डिजिटल सर्वे पर भी प्रशिक्षण दिया जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की भागीदारी
कोर्स से जुड़े एक प्रोफेसर ने बताया कि “यह अध्ययन छात्रों को अतीत के इतिहास को वर्तमान पर्यावरणीय चुनौतियों से जोड़ने की समझ प्रदान करेगा।” उन्होंने यह भी बताया कि इस कार्यक्रम में देश-विदेश के प्रसिद्ध भूविज्ञानी और पुरातत्व विशेषज्ञ अपने अनुभव साझा करेंगे।
यह कोर्स प्रोफेसर एस. एन. राजगुरु की स्मृति में समर्पित किया गया है, जिन्हें भारत में जियोआर्कियोलॉजी के क्षेत्र का अग्रदूत माना जाता है।
विशेषज्ञों की सराहना
देशभर के विशेषज्ञों ने आईआईटी-आईएसएम की इस पहल की सराहना की है। एक वरिष्ठ पुरातत्व विशेषज्ञ ने कहा, “भारत के प्रमुख तकनीकी संस्थान में जियोआर्कियोलॉजी जैसा कोर्स शुरू होना ऐतिहासिक कदम है। यह मानव इतिहास और पर्यावरणीय अध्ययन के बीच सेतु बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।”
अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह विषय छात्रों को भारत की सांस्कृतिक और पर्यावरणीय विरासत को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझने में मदद करेगा। साथ ही, यह प्रयास पर्यावरणीय बदलावों की ऐतिहासिक जड़ों को उजागर करने में भी सहायक साबित होगा।
आईआईटी-आईएसएम धनबाद का यह नया कोर्स NEP 2020 के उद्देश्यों को साकार करने की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल है, जो इंजीनियरिंग, विज्ञान और समाजशास्त्र के विद्यार्थियों को एक साझा मंच पर लाकर “मनुष्य और प्रकृति” के संबंधों की गहरी समझ विकसित करेगा।