बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से ठीक पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा प्रशासनिक और राजनीतिक कदम उठाया है। बिहार सरकार ने उर्दू परामर्शदात्री समिति का पुनर्गठन कर दिया है। मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के उर्दू निदेशालय की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, नई समिति राज्य में उर्दू भाषा के विकास और प्रोत्साहन से जुड़े मामलों पर सरकार को सुझाव देगी।
जारी आदेश के अनुसार, समिति के अध्यक्ष के रूप में जनाब नौशाद आलम, उर्दू मंत्री, बिहार सरकार को नियुक्त किया गया है. वहीं, डॉ. मिर्जावदुद्दीन बुखारी (किशनगंज), शबाना दाउद (भागलपुर), यासमीन खान (पटना), प्रो. (डॉ.) शौकत अंसारी (दरभंगा), इसराइल राइन (जहानाबाद), मुफद्दल अली कैशर (सीवान), अल्ताफ राजू (छपरा) और परवेज शाहीन (पूर्णिया) को सदस्य बनाया गया है.
इस समिति का उद्देश्य राज्य सरकार की उर्दू नीति को और प्रभावी बनाना, साथ ही शिक्षा, प्रकाशन, और प्रशासनिक स्तर पर उर्दू भाषा के प्रयोग को बढ़ावा देना है. आदेश में यह भी कहा गया है कि समिति उर्दू के प्रचार-प्रसार और राजभाषा के रूप में उसके उपयोग को लेकर सरकार को सुझाव देगी.
राजनीतिक रूप से यह कदम इसलिए अहम माना जा रहा है क्योंकि चुनाव आयोग आज शाम 4 बजे बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा करने जा रहा है. ऐसे में आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले नीतीश सरकार का यह फैसला मुस्लिम समुदाय और उर्दू भाषी मतदाताओं को साधने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है.