पूर्व सांसद सूरजभान सिंह अपने परिवार के साथ कल RJD में होंगे शामिल

मोकामा के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद सूरजभान सिंह अपनी पूर्व सांसद पत्नी वीणा देवी और पूर्व सांसद भाई चंदन सिंह के साथ शनिवार को राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) में शामिल हो रहे हैं। तेजस्वी यादव राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी) के संसदीय बोर्ड अ

By : स्वराज पोस्ट | Edited By: Karishma Singh
Updated at : Oct 10, 2025, 11:57:00 PM

बिहार की राजनीति में एक बार फिर बड़ा फेरबदल होने जा रहा है। मोकामा के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद सूरजभान सिंह अब राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) का दामन थामने जा रहे हैं। उनके साथ उनकी पत्नी और पूर्व सांसद वीणा देवी तथा भाई और पूर्व सांसद चंदन सिंह भी शनिवार को आरजेडी में शामिल होंगे। सदस्यता ग्रहण समारोह में तेजस्वी यादव खुद इन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाएंगे।

सूत्रों के मुताबिक, मोकामा विधानसभा सीट से एक बार फिर अनंत सिंह के खिलाफ सूरजभान सिंह के परिवार से किसी के चुनाव लड़ने की चर्चा है। याद दिला दें कि साल 2000 में सूरजभान ने जेल में रहते हुए अनंत सिंह के भाई दिलीप सिंह को बड़े अंतर से हराकर मोकामा से निर्दलीय विधायक का चुनाव जीता था। तब दिलीप सिंह राजद सरकार में मंत्री थे और उस सीट पर उनका दशकभर का दबदबा था।

सूरजभान का राजनीतिक सफर हमेशा सत्ता के केंद्र के आसपास रहा है। वे 2004 में लोजपा के टिकट पर बलिया लोकसभा सीट से सांसद बने। खुद के सजा पाने के बाद 2014 में पत्नी वीणा देवी को मुंगेर से सांसद बनवाया, जबकि 2019 में भाई चंदन सिंह नवादा से सांसद बने। यानी सूरजभान परिवार में तीन-तीन पूर्व सांसद हैं।

रामविलास पासवान के निधन के बाद पार्टी टूटने पर सूरजभान और चंदन ने चिराग पासवान का साथ नहीं दिया और पारस गुट के साथ चले गए। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में जब भाजपा ने पारस को किनारे कर दिया, तो सूरजभान परिवार की राजनीतिक जमीन डगमगा गई। अब तेजस्वी यादव ने उन्हें नया मंच दे दिया है।

तेजस्वी यादव की नजर इस कदम से भूमिहार और गैर-यादव वोट बैंक को साधने पर है। वे लंबे समय से आरजेडी को “A to Z पार्टी” बताने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। 2024 में उन्होंने कुशवाहा वोट बैंक में सेंधमारी कर एनडीए को शाहाबाद और मगध में कड़ी चुनौती दी थी। अब भूमिहार वोटरों को जोड़ने की कोशिश हो रही है।

सूरजभान के आरजेडी में आने से मोकामा की राजनीति में नया समीकरण बनेगा। माना जा रहा है कि तेजस्वी यादव, सूरजभान जैसे पुराने पावर सेंटर को अपने साथ जोड़कर चुनावी रण में जातीय संतुलन और राजनीतिक शक्ति दोनों मजबूत करना चाहते हैं।