पटना के होटल मौर्या में शुक्रवार सुबह बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए ने अपना साझा संकल्प पत्र जारी किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान, पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी और राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा समेत एनडीए के तमाम शीर्ष नेता मौजूद रहे।
सुबह ठीक 10 बजे शुरू हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में सभी नेताओं ने एक साथ मंच पर आकर संकल्प पत्र का विमोचन किया और कुछ ही मिनटों में बिना किसी संबोधन के वहां से निकल गए। बाद में डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने मीडिया के सामने एनडीए के चुनावी वादों को विस्तार से रखा।
एनडीए के किसी भी बड़े नेता के संबोधन न देने पर सियासी हलचल तेज हो गई। विपक्ष ने इसे जनता और मीडिया से भागने की कोशिश बताया। कांग्रेस के वरीय पर्यवेक्षक अशोक गहलोत ने पटना में बयान देते हुए कहा, “महज 26 सेकंड में एनडीए का घोषणा पत्र जारी कर दिया गया। यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है।” उन्होंने आरोप लगाया कि एनडीए नेता मीडिया के सवालों से बचकर निकल गए।
वहीं, आरएलएम प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने सफाई देते हुए कहा कि सभी नेता पहले से तय कार्यक्रमों में व्यस्त थे। “अगर हम प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक घंटा लगाते, तो प्रचार अभियान प्रभावित होता,” उन्होंने कहा।
गौरतलब है कि एनडीए की प्रेस कॉन्फ्रेंस तय समय 9:30 बजे की जगह करीब आधे घंटे की देरी से 10 बजे शुरू हुई। सूत्रों के अनुसार, पहले से तय था कि किसी बड़े नेता का भाषण नहीं होगा और केवल सम्राट चौधरी ही मीडिया को संबोधित करेंगे।
एनडीए के इस असामान्य कदम ने बिहार की सियासत में नई बहस छेड़ दी है। अब देखना यह होगा कि इस रणनीति का चुनावी असर जनता के मूड पर कितना पड़ता है।