आचार संहिता लागू होते ही थम गए सरकारी काम, जानें क्या-क्या नहीं हो सकेगा अब

भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बिहार चुनाव का शेड्यूल जारी किया है। बिहार में चुनावी बिगुल बजने के साथ ही राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो गया।

By : स्वराज पोस्ट | Edited By: Karishma Singh
Updated at : Oct 06, 2025, 5:10:00 PM

भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बिहार चुनाव का शेड्यूल जारी किया है। बिहार में चुनावी बिगुल बजने के साथ ही राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो गया। 

लेकिन इसी बीच सवाल यह उठता है कि अगर आचार संहिता लागू हो जाती है तो क्या सभी काम बंद हो जाते हैं और क्या सरकार टूटी सड़कें बना सकती है या नहीं. आइए जानते हैं.

दरअसल आचार संहिता लागू होते ही राज्य सरकार और सभी राजनीतिक दलों पर नैतिक और परिचालन संबंधी प्रतिबंध लगा दिया जाता है. इसका उद्देश्य यह पक्का करना है कि सत्ता में बैठे लोगों को कोई अनुचित लाभ न मिले. हालांकि इस दौरान सभी सरकारी कार्य पूरी तरह से नहीं रुकते. 

आचार संहिता के दौरान कोई भी नई परियोजना या फिर योजना की घोषणा नहीं की जा सकती. इसमें आने वाले निर्माण कार्य या फिर कोई नई पहल की आधारशिला रखना भी शामिल है. आयोग द्वारा ऐसे हर कार्य को शुरू करने पर प्रतिबंध लगाया जाता है जिसे राजनीतिक लाभ उठाने के रूप में देखा जा सकता है.

जैसे ही चुनाव की तारीखों की घोषणा होती है, उसी क्षण से आचार संहिता लागू हो जाती है। अब सभी DM, SP, BDO, SDO और ब्लॉक स्तरीय अधिकारी सीधे निर्वाचन आयोग के अधीन आ जाते हैं। बिना चुनाव आयोग की अनुमति, किसी अधिकारी का तबादला या नियुक्ति नहीं हो सकती। इस दौरान प्रशासन का मुख्य कार्य केवल चुनाव प्रक्रिया संचालित करना होता है।

अब चुनाव आयोग केवल मैदान तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सोशल मीडिया, व्हाट्सएप ग्रुप, फेसबुक विज्ञापन और डिजिटल संदेशों पर भी कड़ी नजर रखता है। हर उम्मीदवार को अपने डिजिटल खर्च का ब्यौरा देना होता है। फेक न्यूज या भ्रामक सूचना फैलाने पर आईटी और चुनाव कानून के तहत कार्रवाई की जा सकती है

अगर कोई मंत्री या उम्मीदवार आचार संहिता का उल्लंघन करता है, तो निर्वाचन आयोग नोटिस जारी कर जवाब तलब कर सकता है। जरूरत पड़ने पर उसके खिलाफ FIR दर्ज दर्ज किया जा सकता है, चुनाव प्रचार पर रोक लगाया जा सकता है और जुर्माना या नामांकन रद्द तक की कार्रवाई संभव है।

आचार संहिता लागू होने के बाद सार्वजनिक धन का इस्तेमाल किसी भी ऐसे आयोजन में नहीं किया जा सकता, जिससे किसी खास पार्टी को फायदा पहुंच रहा हो।

सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता। चुनाव आयोग इस पर विशेष नजर रखता है।

किसी भी पार्टी या उम्मीदवार के हितों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकारी गाड़ी का इस्तेमान नहीं किया जा सकता।

आदर्श आचार संहिता लगने के बाद सरकारी घोषणाएं, लोकार्पण, शिलान्यांस और भूमिपूजन जैसे कार्यक्रम नहीं हो सकते। यानी आज से चुनाव प्रक्रिया के पूरा होने तक किसी तरह की सरकारी घोषणा, लोकार्पण या शिलान्यांस नहीं हो सकता।

प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए सभी अधिकारियों और पदाधिकारियों के ट्रांसफर और तैनाती पर प्रतिबंध लग जाता है। किसी भी तरह के ट्रांसफर होते भी हैं तो यह चुनाव आयोग ही करता है।

आदर्श आचार संहिता लगने के बाद सरकारी घोषणाएं, लोकार्पण, शिलान्यांस और भूमिपूजन जैसे कार्यक्रम नहीं हो सकते। यानी आज से चुनाव प्रक्रिया के पूरा होने तक किसी तरह की सरकारी घोषणा, लोकार्पण या शिलान्यांस नहीं हो सकता।

• प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए सभी

 अधिकारियों और पदाधिकारियों के ट्रांसफर और तैनाती पर प्रतिबंध लग जाता है। किसी भी तरह के ट्रांसफर होते भी हैं तो यह चुनाव आयोग ही करता है।