केंद्र सरकार के लगभग 1 करोड़ से अधिक कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए राहत भरी खबर आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के टर्म्स ऑफ रेफरेंस (ToR) को मंजूरी दे दी गई है। अब आयोग को अपने गठन की तारीख से 18 महीने के भीतर अपनी सिफारिशें सरकार को सौंपनी होंगी।
दरअसल, जनवरी में ही 8वें वेतन आयोग के गठन की घोषणा हो चुकी थी, लेकिन इसके नियम तय न होने से कर्मचारियों में असमंजस बना हुआ था कि इसका लाभ कब मिलेगा। अब औपचारिक मंजूरी के बाद इस पर से सस्पेंस खत्म हो गया है और कर्मचारियों के चेहरों पर राहत की मुस्कान लौट आई है।
क्या करता है वेतन आयोग?
केंद्रीय वेतन आयोग का मुख्य कार्य केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनरों के वेतन ढांचे, भत्तों और सेवा शर्तों की समीक्षा करना होता है। आयोग परिस्थितियों के अनुसार बदलाव और सुधार की सिफारिश करता है। आम तौर पर हर 10 वर्ष में एक नया वेतन आयोग गठित किया जाता है, ताकि कर्मचारियों की आय और महंगाई के बीच संतुलन बना रहे।
कितनी बढ़ सकती है सैलरी?
वेतन वृद्धि का प्रमुख आधार होता है फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor), यानी ऐसा गुणक जिससे पुराने बेसिक वेतन को गुणा करके नया बेसिक पे तय किया जाता है। इसी आधार पर अन्य भत्ते जैसे डीए (DA) और एचआरए (HRA) भी निर्धारित होते हैं।
7वें वेतन आयोग में यह फिटमेंट फैक्टर 2.57 तय किया गया था, जिससे कर्मचारियों का न्यूनतम बेसिक वेतन ₹6,000 से बढ़कर ₹18,000 हो गया था।
अब 8वें वेतन आयोग में अगर फिटमेंट फैक्टर 2.47 होता है, तो बेसिक वेतन ₹18,000 से बढ़कर करीब ₹44,460 तक पहुंच सकता है।
यदि फैक्टर 1.83 हुआ तो बेसिक करीब ₹32,940 रहेगा।
और 1.86 होने पर यह ₹33,480 रुपये के आसपास होगा।
उदाहरण से समझिए
मान लीजिए आपकी वर्तमान बेसिक सैलरी ₹18,000 है —
फिटमेंट फैक्टर 1.83 होने पर नई सैलरी = ₹32,940
फिटमेंट फैक्टर 2.47 होने पर नई सैलरी = ₹44,280 तक
ग्रॉस सैलरी कैसे तय होगी?
ग्रॉस सैलरी में बेसिक पे, महंगाई भत्ता (DA) और मकान किराया भत्ता (HRA) शामिल होते हैं।
मेट्रो शहरों में HRA = बेसिक का 30%
टियर-2 शहरों में = 20%
टियर-3 शहरों में = 10%
यदि DA को 0% मान लें और बेसिक वेतन ₹44,460 हो, तो मेट्रो शहरों में ग्रॉस सैलरी होगी —
₹44,460 + ₹13,338 (HRA) = ₹57,798 रुपये।
कर्मचारियों और पेंशनर्स में उत्साह
सरकार के इस फैसले से केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स में उम्मीद और उत्साह दोनों बढ़ गए हैं। अब सबकी निगाहें आयोग की सिफारिशों और उनके लागू होने की तारीख पर टिकी हैं।
यह फैसला न केवल मौजूदा कर्मचारियों के लिए, बल्कि सेवानिवृत्त
पेंशनरों के लिए भी बड़ी राहत लेकर आया है।