झारखंड हाईकोर्ट में लंबित 47 रिज़र्व जजमेंट पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा-यह झकझोरने वाली स्थिति

झारखंड हाईकोर्ट में लंबित 47 रिज़र्व जजमेंट पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा-यह झकझोरने वाली स्थिति

झारखंड हाईकोर्ट में लंबित 47 रिज़र्व जजमेंट पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा-यह झकझोरने वाली स्थिति
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By : स्वराज पोस्ट | Edited By: Urvashi
: Nov 11, 2025, 3:36:00 PM

झारखंड हाईकोर्ट में 31 जनवरी 2025 से पहले जिन 61 सिविल मामलों में फैसला सुरक्षित रखा गया था, उनमें से अब तक 47 मामलों में जजमेंट जारी नहीं हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस लंबित जजमेंट की स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। यह जानकारी झारखंड हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा दायर हलफनामे में सामने आई। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट में फैसलों का लंबित रहना न्यायिक विवेक के लिए चुनौतीपूर्ण है और यह गंभीर समस्या बनती जा रही है।

यह टिप्पणी मिवान स्टील्स लिमिटेड बनाम भारत कोकिंग कोल लिमिटेड, डायरी नंबर 48094/2025 की याचिका की सुनवाई के दौरान की गई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लंबित मामलों की सुनवाई पहले से ही जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच में चल रही है, इसलिए इसे उसी बेंच के साथ जोड़कर सुनवाई की जाएगी। अदालत ने निर्देश दिया कि 14 नवंबर 2025 को प्रस्तावित W.P.(C) No.489/2025 के साथ इसे सूचीबद्ध किया जाए, इसके लिए रजिस्ट्री को मुख्य न्यायाधीश की अनुमति लेनी होगी।

सुप्रीम कोर्ट पहले भी झारखंड हाईकोर्ट में लंबित जजमेंट को लेकर असंतोष जता चुका है। जस्टिस सूर्यकांत की बेंच वर्तमान में होमगार्ड भर्ती से जुड़े छह मामलों की सुनवाई कर रही है, जिनमें जजमेंट पिछले दो साल से लंबित थे। 8 अगस्त की सुनवाई में हाईकोर्ट ने दावा किया था कि आदेश जारी कर दिए गए हैं, लेकिन सील कवर रिपोर्ट में सामने आया कि 61 अन्य मामलों में फैसले अब भी रुके हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने तब सुझाव दिया था कि जज अत्यधिक कानूनी विश्लेषण में उलझने के बजाय तर्कसंगत आदेश जल्द से जल्द जारी करें, और आवश्यकता पड़ने पर छुट्टी लेकर भी लंबित फैसले निपटाएं।

नए हलफनामे में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि लंबित 47 मामलों में से 46 जजमेंट केवल एक ही जज के पास अटके हुए हैं। केवल एक मामला किसी अन्य जज के पास लंबित है। इन मामलों में प्रमुख याचिका मिवान स्टील्स लिमिटेड बनाम भारत कोकिंग कोल लिमिटेड है, जिसमें याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी, मिषा रोहतगी, नकुल मोहता और आदित्य धिंगरा ने पक्ष रखा।