झारखंड हाईकोर्ट में बुधवार को राज्य सरकार द्वारा की गई कोर्ट फीस बढ़ोतरी को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्णन ने बताया कि राज्य के न्यायालयों में मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है, फिर भी सरकार के राजस्व में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है।
राज्य सरकार की ओर से दाखिल किए गए काउंटर एफिडेविट में बताया गया कि वर्ष 2011-12 में जहां करीब 97 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था, वहीं 2020-21 तक यह घटकर लगभग 10 करोड़ रुपये रह गया। यह भी उल्लेखनीय है कि इसी अवधि में अदालतों में दाखिल होने वाले मामलों की संख्या चार गुना तक बढ़ी है।
बार काउंसिल ने इस आंकड़े पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि जब केसों की संख्या इतनी बढ़ी है, तो राजस्व में इतनी बड़ी गिरावट कैसे संभव है? यदि सरकार की ओर से दी गई जानकारी सटीक है, तो इसकी गहन जांच की आवश्यकता है।
ज्ञात हो कि राज्य सरकार ने वर्ष 2022 में कोर्ट फीस संशोधन विधेयक पेश किया था, जिसके तहत फीस में काफी वृद्धि की गई थी। बार काउंसिल का कहना है कि इस संशोधन से आम जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है और न्याय तक पहुंच और कठिन हो गई है।
इस जनहित याचिका पर अगली सुनवाई छठ पर्व के बाद निर्धारित की गई है।