रांची में लंबे समय से चल रही बिजली कटौती की समस्या जल्द ही इतिहास बन सकती है। झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (JBVNL) ने निर्णय लिया है कि अब शहर की सभी 11 और 33 केवी की ओवरहेड बिजली लाइनों को भूमिगत (अंडरग्राउंड) किया जाएगा।
बारिश, आंधी या बिजली गिरने के दौरान इन लाइनों के बार-बार खराब होने से बिजली आपूर्ति बाधित होती रही है। निगम के अनुसार, जिन इलाकों में पहले से अंडरग्राउंड केबल बिछाई गई है, वहां बिजली व्यवस्था में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है और फॉल्ट की घटनाओं में भारी कमी आई है। अब शेष क्षेत्रों में भी यही तकनीक लागू की जाएगी।
इसके लिए शहरभर में सर्वे का काम शुरू हो गया है। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर परियोजना तैयार की जाएगी और मंजूरी मिलने के बाद कार्य आरंभ होगा। इस प्रक्रिया में पानी, गैस, टेलीकॉम और सड़क विभाग जैसे अन्य यूटिलिटी सेवाओं के साथ समन्वय भी किया जाएगा ताकि आने वाले 20–30 वर्षों तक किसी तकनीकी बाधा या लाइन शिफ्टिंग की आवश्यकता न पड़े। जिन इलाकों में यह काम होगा, वहां स्थानीय नागरिकों से भी संवाद स्थापित किया जाएगा ताकि किसी प्रकार की असुविधा न हो।
अब तक हुआ भूमिगत कार्य
JBVNL के अनुसार, रांची में अब तक लगभग 75% 33 केवी लाइनें भूमिगत की जा चुकी हैं, जबकि 11 केवी लाइनें सिर्फ 20% तक अंडरग्राउंड हैं। आंधी-पानी के समय इन्हीं 11 केवी लाइनों में सबसे अधिक खराबी आती है, इसलिए निगम अब सौ फीसदी अंडरग्राउंडिंग के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है।
कहां-कहां हुआ काम
33 केवी लाइनें:
ईस्ट डिविजन – 11 किमी
वेस्ट डिविजन – 8 किमी
कोकर – 49 किमी
सेंट्रल – 54 किमी
न्यू कैपिटल – 34 किमी
डोरंडा – 20 किमी
इन क्षेत्रों में मुख्य रूप से सर्किट हाउस, मेन रोड, सुजाता चौक, न्यू मोरहाबादी, पारस टोली, हिनू, चडरी, शहीद चौक और अपर बाजार जैसे इलाके शामिल हैं।
11 केवी लाइनें:
रांची सदर, अरगोड़ा, हरमू, राजभवन, मोरहाबादी, कांके, नामकुम, हटिया, विधानसभा, मदर डेयरी, पंडरा, कुसई, एयरपोर्ट, आईटीआई, पुंदाग, फिरायालाल चौक और कचहरी चौक जैसे इलाकों में यह काम पूरा हो चुका है।
JBVNL का कहना है कि पूरा प्रोजेक्ट सभी सुरक्षा मानकों के अनुरूप और सुव्यवस्थित तरीके से किया जाएगा ताकि रांची के नागरिकों को स्थायी रूप से बिजली कटौती से निजात मिल सके।