JPSC की पारदर्शिता पर उठे सवाल, सिलेबस और परीक्षा पैटर्न जारी ना होने से अभ्यर्थियों में नाराजगी

JPSC की पारदर्शिता पर उठे सवाल, सिलेबस और परीक्षा पैटर्न जारी ना होने से अभ्यर्थियों में नाराजगी

JPSC की पारदर्शिता पर उठे सवाल, सिलेबस और परीक्षा पैटर्न जारी ना होने से अभ्यर्थियों में नाराजगी
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By : स्वराज पोस्ट | Edited By: Urvashi
: Nov 01, 2025, 1:46:00 PM

झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) की कार्यप्रणाली को लेकर राज्यभर के अभ्यर्थियों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। हाल ही में आयोग द्वारा जारी झारखंड एलिजिबिलिटी टेस्ट (JET) की अधिसूचना में सिलेबस का खुलासा नहीं किया गया, जिससे उम्मीदवारों को परीक्षा की तैयारी में स्पष्ट मार्गदर्शन नहीं मिल पा रहा है।

अन्य राज्यों की स्थिति देखें तो BPSC (बिहार), UPPSC (उत्तर प्रदेश), MPPSC (मध्य प्रदेश) जैसी आयोग अपने विज्ञापनों के साथ संपूर्ण सिलेबस और प्रश्नपत्र संरचना प्रकाशित करती हैं, जिससे अभ्यर्थियों को तैयारी में सहूलियत मिलती है। इसके विपरीत JPSC की यह नीति अभ्यर्थियों में भ्रम और असमंजस पैदा कर रही है।

पहले भी उठ चुके हैं सवाल
यह पहली बार नहीं है जब JPSC की पारदर्शिता पर सवाल उठे हों। हाल ही में आयोजित बाल विकास परियोजना पदाधिकारी परीक्षा में भी आयोग ने प्रश्नपत्र पैटर्न पहले से साझा नहीं किया था, जिससे हजारों अभ्यर्थियों को बिना दिशा-निर्देश के परीक्षा में शामिल होना पड़ा। यही समस्या सहायक वन संरक्षक (ACF) और वन क्षेत्र पदाधिकारी (FRO) जैसी आगामी परीक्षाओं में भी देखने को मिल रही है।

अभ्यर्थियों की चिंताएं बढ़ीं

  • JET, ACF, FRO और CDPO जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं का सिलेबस और पैटर्न अभ्यर्थियों की तैयारी का आधार है।

  • आयोग की चुप्पी से कई छात्र मानसिक तनाव और असमंजस में हैं।

  • कोचिंग संस्थानों और शिक्षकों को तैयारी की दिशा तय करने में कठिनाई हो रही है।

  • समान अवसर का सिद्धांत प्रभावित हो रहा है, क्योंकि कुछ अभ्यर्थियों तक अनौपचारिक जानकारी पहुँच रही है जबकि अधिकांश वंचित हैं।

नीति और प्रक्रिया की अनदेखी
किसी भी परीक्षा का विज्ञापन केवल आवेदन आमंत्रण नहीं होता, बल्कि यह परीक्षा पद्धति की आधिकारिक सूचना भी होती है। सिलेबस और पैटर्न न प्रकाशित करना समान अवसर के संवैधानिक सिद्धांत के खिलाफ है।

अभ्यर्थियों की प्रमुख मांगें

  • JET, ACF और FRO परीक्षाओं का विस्तृत सिलेबस और प्रश्नपत्र पैटर्न शीघ्र जारी किया जाए।

  • भविष्य की सभी परीक्षाओं के विज्ञापन के साथ सिलेबस प्रकाशित करने का नियम बनाना चाहिए।

  • परीक्षा प्रणाली को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाया जाए।

  • आयोग की वेबसाइट पर पुराने प्रश्नपत्र और मॉडल पेपर उपलब्ध कराए जाएं।