झारखंड में जल्द शुरू होगा मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण, 2003 की वोटर लिस्ट बनेगी आधार

झारखंड में जल्द शुरू होगा मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण, 2003 की वोटर लिस्ट बनेगी आधार

झारखंड में जल्द शुरू होगा मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण, 2003 की वोटर लिस्ट बनेगी आधार
swaraj post

By : स्वराज पोस्ट | Edited By: Urvashi
: Oct 13, 2025, 3:57:00 PM

बिहार के बाद अब झारखंड में भी मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण अभियान शुरू होने जा रहा है। भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने इसकी प्रारंभिक तैयारियां पूरी कर ली हैं। इस प्रक्रिया के तहत राज्यभर में सभी मतदाताओं की पहचान नए सिरे से की जाएगी।

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी रवि कुमार ने बताया कि भारत निर्वाचन आयोग ने जून 2024 में देशभर में गहन पुनरीक्षण अभियान चलाने का निर्णय लिया था। इसके तहत पहला चरण — ‘प्री रिवीजन एक्टिविटी’ — पूरा कर लिया गया है। इस चरण में मतदान केंद्रों का निर्धारण और नजरी नक्शे से टैगिंग का कार्य किया गया है। प्रत्येक बूथ दो किलोमीटर की सीमा के भीतर 1200 मतदाताओं के लिए निर्धारित किया गया है। अब अगले चरण में मतदाताओं की पहचान का कार्य शुरू किया जाएगा, जिसके लिए आयोग से अंतिम अनुमति की प्रतीक्षा की जा रही है।

2003 की वोटर लिस्ट में नाम है तो चिंता की जरूरत नहीं
आयोग का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर योग्य नागरिक का नाम मतदाता सूची में शामिल हो और कोई अपात्र व्यक्ति सूची में न रहे। पारदर्शिता बढ़ाने के लिए आयोग ने वर्ष 2003 की मतदाता सूची को आधार वर्ष माना है।

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के अनुसार, जिन नागरिकों का नाम 2003 की मतदाता सूची में दर्ज है, उन्हें अपनी पात्रता साबित करने की आवश्यकता नहीं होगी। वहीं जिनका नाम उस सूची में नहीं है, वे अपने माता-पिता या परिवार के किसी सदस्य के नाम के आधार पर पात्र मतदाता के रूप में प्रमाणित किए जा सकेंगे।

जन्म प्रमाण के लिए निर्धारित किए गए दस्तावेज
निर्वाचन आयोग ने पात्रता साबित करने के लिए कुछ सरकारी दस्तावेजों को मान्यता दी है।

  • 1 जुलाई 1987 से पहले जन्मे नागरिकों को अपनी जन्मतिथि और जन्मस्थान का कोई भी मान्य दस्तावेज प्रस्तुत करना होगा।

  • 1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच जन्मे युवाओं को अपनी जन्मतिथि, जन्मस्थान और माता-पिता में से किसी एक का दस्तावेज देना होगा।

  • 2 दिसंबर 2004 के बाद जन्मे नागरिकों को अपनी और अपने माता-पिता दोनों की जन्मतिथि व जन्मस्थान का प्रमाण प्रस्तुत करना होगा।

रवि कुमार ने बताया कि बढ़ते शहरीकरण, पलायन, नई युवा पीढ़ी के मतदाता बनने, मृत्यु सूचना के अद्यतन न होने और विदेशी प्रवासियों के नाम शामिल होने जैसी परिस्थितियों के कारण मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण आवश्यक हो गया है।

इस अभियान की शुरुआत के बाद झारखंड में भी बिहार की तरह राजनीतिक हलचल तेज होने की संभावना है।