झारखंड नगर निकाय चुनावों में नया रूप लेगा मेयर और पार्षद पदों का आरक्षण

झारखंड नगर निकाय चुनावों में नया रूप लेगा मेयर और पार्षद पदों का आरक्षण

झारखंड नगर निकाय चुनावों में नया रूप लेगा मेयर और पार्षद पदों का आरक्षण
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By : स्वराज पोस्ट | Edited By: Urvashi
: Nov 25, 2025, 4:16:00 PM

झारखंड में आगामी नगर निकाय चुनावों के लिए राज्य सरकार और निर्वाचन आयोग ने आरक्षण की नई रूपरेखा जारी कर दी है। इस बार वार्ड पार्षदों के लिए आरक्षण चक्रीय प्रणाली के तहत लागू किया जाएगा, जबकि नगर निगम, नगर पंचायत और नगर परिषद के अध्यक्ष पदों के लिए चक्रीय आरक्षण समाप्त कर दिया गया है।

वार्ड पार्षदों का आरक्षण फॉर्मूला:
वार्डों में आरक्षण के लिए तय क्रम इस प्रकार होगा: पहले अनुसूचित जाति (SC), फिर अनुसूचित जनजाति (ST), उसके बाद पिछड़ा वर्ग-1 (OBC-1), पिछड़ा वर्ग-2 (OBC-2) और अंत में सामान्य वर्ग।

अध्यक्ष पदों का आरक्षण:
नगर निगम और नगर परिषद के अध्यक्ष पदों के लिए क्रम होगा: पहले अनुसूचित जनजाति (ST), फिर अनुसूचित जाति (SC), इसके बाद OBC-1, OBC-2 और अंत में सामान्य वर्ग।

राज्य के नौ नगर निगमों में मेयर पद आरक्षण:

  • रांची और आदित्यपुर: अनुसूचित जनजाति (ST)

  • गिरिडीह: अनुसूचित जाति (SC)

  • हजारीबाग: पिछड़ा वर्ग (OBC)

  • देवघर, धनबाद, चास, मेदिनीनगर और मानगो: अनारक्षित (सामान्य)

राज्य सरकार ने इसके लिए नगरपालिका निर्वाचन नियमावली में संशोधन किया है और नगर विकास विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है। अब अंतिम निर्णय राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा लिया जाएगा। राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी जिलों को निर्देश दिया है कि वार्डों में आरक्षण की प्रक्रिया दिसंबर 2025 तक पूरी कर ली जाए। सचिव राधेश्याम प्रसाद ने बताया कि हाईकोर्ट के निर्देशानुसार चुनाव समय पर कराए जाएंगे। वार्डों में आरक्षण को नया रूप देने के लिए चक्रीय प्रणाली लागू की गई है, जबकि अध्यक्ष पदों पर यह व्यवस्था खत्म कर दी गई है।

राज्य में कुल 9 नगर निगम, 20 नगर परिषद और 19 नगर पंचायतों में चुनाव होंगे। नए नियमों के अनुसार शहरी निकायों में अधिकतम 50% आरक्षण की सीमा होगी।

नगर निगम वर्गीकरण:

  • 'क' वर्ग: 10 लाख या उससे अधिक आबादी वाले नगर निगम – रांची, धनबाद

  • 'ख' वर्ग: 10 लाख से कम आबादी वाले नगर निगम – आदित्यपुर, गिरिडीह, हजारीबाग, चास, देवघर, मेदिनीनगर, मानगो

इसके अलावा यह भी तय किया गया है कि यदि किसी वर्ग की जनसंख्या किसी वार्ड में 1% से कम है, तो उस वर्ग के लिए आरक्षण लागू नहीं होगा।

इस नए आरक्षण फॉर्मूले से नगर निकाय चुनावों में पारदर्शिता और समान अवसर सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है।