राज्य के चर्चित शराब घोटाला मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की कार्रवाई लगातार जारी है। बुधवार को एसीबी ने पूर्व उत्पाद सचिव और मौजूदा समाज कल्याण विभाग के सचिव आईएएस अधिकारी मनोज कुमार से गहन पूछताछ की। आज उन्हें दोबारा पूछताछ के लिए तलब किया गया है। मनोज कुमार से 38 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी से जुड़ी अनियमितताओं पर सवाल-जवाब किए गए। सूत्रों के मुताबिक, एसीबी उन्हें इस मामले में गवाह बना सकती है।
एसीबी ने मनोज कुमार से यह भी पूछा कि राज्य की शराब दुकानों में मैनपावर आपूर्ति का ठेका लेने वाली दो एजेंसियों—मेसर्स मार्शन इनोवेटिव सिक्यूरिटी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स विजन हॉस्पिटैलिटी सर्विसेज—के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई। इन एजेंसियों ने पूर्व उत्पाद नीति के तहत झारखंड स्टेट बेवरेजेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (JSBCL) के अधीन ठेके लिए थे। जांच में पता चला कि इन एजेंसियों ने फर्जी बैंक गारंटी दी थी, जिससे सरकार को करीब 38 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
मनोज कुमार पर यह भी आरोप है कि उन्होंने राज्य में अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) से अधिक दाम पर शराब की बिक्री रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया और इस पर उनकी मौन सहमति थी। इसके अतिरिक्त, उन्होंने छत्तीसगढ़ की दो कंपनियों—मेसर्स दीशिता वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स ओम साईं बेवरेजेज प्राइवेट लिमिटेड—को तत्कालीन मंत्री को बिना सूचना दिए ही 11 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का भुगतान कर दिया, जबकि इन कंपनियों पर झारखंड सरकार का लगभग 450 करोड़ रुपये बकाया था।
एसीबी ने इस घोटाले में 20 मई को रांची थाने में कांड संख्या 09/2025 दर्ज की थी। प्राथमिकी में तत्कालीन प्रधान सचिव (उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग) विनय कुमार चौबे और कई अन्य अधिकारियों पर पद के दुरुपयोग और मनचाही एजेंसियों को ठेका देने के आरोप लगाए गए हैं।
आईएएस मुकेश कुमार से भी पूछताछ आज
गुरुवार को एसीबी ने पूर्व उत्पाद सचिव मुकेश कुमार को भी पूछताछ के लिए बुलाया है। एसीबी मनोज कुमार और मुकेश कुमार दोनों से एक साथ सवाल-जवाब करेगी। जांच एजेंसी ने विनय कुमार चौबे के करीबी विनय सिंह की गिरफ्तारी और छापेमारी में मिले दस्तावेजों के आधार पर भी नए प्रश्न तैयार किए हैं।
अब तक 11 गिरफ्तारी, चार्जशीट न दाखिल होने पर सभी को जमानत
इस प्रकरण में एसीबी ने एफआईआर दर्ज होने के बाद 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इनमें निलंबित आईएएस विनय कुमार चौबे, संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह, पूर्व महाप्रबंधक वित्त सुधीर कुमार दास, पूर्व आयुक्त उत्पाद अमित प्रकाश, मार्शन कंपनी के नीरज कुमार सिंह, शराब कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया, प्रिज्म होलोग्राफी कंपनी के विधु गुप्ता, ओम साईं बेवरेजेज के अतुल कुमार सिंह, मुकेश मनचंदा और सुमित फैसिलिटीज के निदेशक अमित प्रभाकर सुलौंकी शामिल हैं।
हालांकि, 90 दिनों की कानूनी अवधि में चार्जशीट दाखिल न होने के कारण सभी आरोपियों को जमानत मिल गई। विनय कुमार चौबे फिलहाल हजारीबाग भूमि घोटाले के एक अन्य मामले में जेल में बंद हैं। वहीं, उनके करीबी विनय सिंह को भी इसी केस में गिरफ्तार किया गया था। एसीबी ने हाल ही में विजन हॉस्पिटैलिटी सर्विसेज से जुड़े तीन अन्य आरोपियों—परेश अभेसिंह ठाकोर, विक्रमासिंह अभेसिंह ठाकोर और महेश शिडगे—को भी हिरासत में लिया है।