बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम सामने आते ही झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने एक बार फिर महागठबंधन की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए व्यापक समीक्षा की ज़ोरदार माँग कर दी है। झामुमो के महासचिव विनोद कुमार पांडेय ने स्पष्ट कहा कि केवल झारखंड में चल रहे गठबंधन की ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर पूरे महागठबंधन की रणनीति और तालमेल की गंभीर पड़ताल जरूरी है।
पांडेय का आरोप है कि बिहार चुनाव में राजद और कांग्रेस ने झामुमो को सहयोगी दल समझने के बजाय उपेक्षित कर दिया। राजद ने तो झामुमो को एक भी सीट नहीं दी, और कांग्रेस ने भी इस रुख पर चुप्पी साधे रखी। झामुमो इसे केवल राजनीतिक असहमति नहीं, बल्कि साझेदारी की भावना के साथ खिलवाड़ मानता है। यही कारण है कि नतीजों के तुरंत बाद पार्टी ने खुलकर कहा कि राजद और कांग्रेस के रवैये की समीक्षा अनिवार्य हो चुकी है।
झामुमो कोटे से मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने तो इसे ‘विश्वासघात’ तक बता दिया। उनका कहना है कि गठबंधन की मजबूती तभी संभव है जब सभी दल एक-दूसरे को सम्मान दें, न कि चुनावी मौसम में साथी दलों को कमजोर दिखाने की कोशिश करें।
दिलचस्प बात यह है कि बिहार में राजद और कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन ने झामुमो को राजनीतिक रूप से और अधिक आत्मविश्वास दिया है। हाल ही में झारखंड की घाटशिला विधानसभा उपचुनाव में झामुमो को मिली प्रचंड जीत ने पार्टी के तेवर और मजबूत कर दिए हैं।