झारखंड के आदिम जनजातीय इलाकों में विकास की नई इबारत, “दीदी की दुकान” योजना से लखपति बन रहीं झारखंड की दीदियां

झारखंड के आदिम जनजातीय इलाकों में विकास की नई इबारत, “दीदी की दुकान” योजना से लखपति बन रहीं झारखंड की दीदियां

झारखंड के आदिम जनजातीय इलाकों में विकास की नई इबारत, “दीदी की दुकान” योजना से लखपति बन रहीं झारखंड की दीदियां
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By : स्वराज पोस्ट | Edited By: Urvashi
: Nov 07, 2025, 4:48:00 PM

झारखंड के पीवीटीजी (विशेष रूप से आदिम जनजातीय समूह) क्षेत्रों में विकास कार्य अब नई रफ्तार पकड़ रहे हैं। नीति आयोग की सचिव रंजना चोपड़ा ने कहा कि अब समय आ गया है जब देश के सभी पीवीटीजी क्षेत्रों में हाउसहोल्ड सैचुरेशन की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं। वे पीवीटीजी समुदायों के उत्थान पर आयोजित एक सेमिनार में बोल रही थीं।

उन्होंने कहा कि जिन गांवों तक सड़कें नहीं पहुंची हैं, वहां प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत मनरेगा के माध्यम से निर्माण कार्य कराए जाने चाहिए ताकि स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल सके। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हर गांव को इस तरह जोड़ा जाए कि लोगों के घर से अस्पताल, स्कूल और शहर तक आसान पहुंच संभव हो सके।

रंजना चोपड़ा ने बताया कि 2018 में शुरू हुई पीवीटीजी कल्याण योजना अब जमीन पर सकारात्मक परिणाम दे रही है। कई राज्यों में हर घर नल योजना, सड़क और बिजली जैसी परियोजनाएं सैचुरेशन मोड में पूरी हो चुकी हैं, जिनमें झारखंड की प्रगति विशेष रूप से उल्लेखनीय है। उन्होंने कहा कि अब 100 से अधिक आबादी वाले टोलों में आंगनबाड़ी केंद्र स्थापित किए जाएंगे और कामकाजी आदिवासी महिलाओं के लिए क्रेच (बाल देखभाल केंद्र) की व्यवस्था भी की जाएगी।

उन्होंने झारखंड के अधिकारियों को निर्देश दिया कि पीवीटीजी क्षेत्रों में पहले से किए गए और शेष कार्यों का डेटा आधारित विश्लेषण तैयार किया जाए ताकि योजनाओं का लक्ष्यभेदी क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सके।


“विकसित भारत” के लक्ष्य में पीवीटीजी योजना की अहम भूमिका

नीति आयोग के मिशन डायरेक्टर रोहित कुमार ने कहा कि पीवीटीजी योजना देश के सबसे पिछड़े आदिवासी समुदायों को मुख्यधारा से जोड़ने का एक प्रभावी माध्यम बन रही है। उन्होंने कहा कि जिन इलाकों में अब तक विकास की रोशनी नहीं पहुंची थी, वहां अब स्वावलंबन की ओर ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।

रोहित कुमार ने कहा, “विकसित भारत का सपना तभी साकार होगा जब आदिम जनजाति समुदायों के उत्थान की कहानी हम जमीनी स्तर पर अपने सतत प्रयासों से लिखेंगे।” उन्होंने स्पष्ट किया कि यह योजना केवल बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य इन समुदायों को शैक्षणिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।


झारखंड: भौगोलिक चुनौतियों के बावजूद विकास की नई मिसाल

सेमिनार के उद्घाटन सत्र में योजना एवं विकास सचिव मुकेश कुमार ने कहा कि झारखंड ने कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद आदिम जनजातीय समुदायों के कल्याण में उल्लेखनीय उपलब्धियां दर्ज की हैं। उन्होंने बताया कि राज्य के पीवीटीजी इलाकों में सड़क, बिजली, पेयजल, आवास और शिक्षा जैसी योजनाएं सैचुरेशन मोड में लागू की जा रही हैं, जिससे गांवों की तस्वीर बदल रही है।

रोहित कुमार ने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में राज्य सरकार कई नवाचारों पर काम कर रही है। विशेष रूप से “डाकिया योजना” ने दूरस्थ गांवों तक सरकारी सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित की है। इस योजना के तहत जरूरत की वस्तुएं, पोषण आहार और दवाइयां सीधे लोगों के घर तक पहुंचाई जा रही हैं।


“दीदी की दुकान” — आत्मनिर्भरता की मिसाल बन रहीं झारखंड की महिलाएं

झारखंड सरकार की महत्वाकांक्षी योजना “दीदी की दुकान” पीवीटीजी समुदायों में आर्थिक सशक्तिकरण की नई मिसाल बन रही है। इस योजना के तहत आदिवासी महिला समूहों द्वारा संचालित दुकानों के माध्यम से दूरस्थ क्षेत्रों में दैनिक जरूरत की वस्तुएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।

विभागीय आंकड़ों के अनुसार, “दीदी की दुकान” योजना के तहत 30 हजार से 1 लाख रुपये तक के लोन से दुकानों की शुरुआत की गई थी। वर्तमान में राज्य के विभिन्न प्रखंडों में 1276 दीदी की दुकानें संचालित हैं, जिनमें से 386 गांव ऐसे हैं, जहां पहली बार कोई दुकान खुली है। पहले जहां ग्रामीणों को जरूरत का सामान खरीदने के लिए 4-5 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था, अब वही वस्तुएं उनके गांव में ही मिल जाती हैं।

औसतन एक दीदी की दुकान से हर महीने करीब 9,100 रुपये की आय हो रही है, जिससे महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है। इसके अलावा, राज्य के 113 गांवों में “दीदी का ढाबा” भी शुरू किया गया है, जिससे महिलाओं के लिए रोजगार और आत्मसम्मान दोनों के अवसर बढ़े हैं।

“दीदी की दुकान” जैसी योजनाएं न केवल आजीविका को सशक्त बना रही हैं, बल्कि आदिवासी समाज में सामाजिक परिवर्तन और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन रही हैं।


सेमिनार में शामिल हुए कई सम्मानित व्यक्तित्व

“सुपर 60” सेमिनार में पद्मश्री मधु मंसूरी, जमुना टुडू, सिमन उरांव, जागेश्वर यादव और कमी मुर्मू सहित नीति आयोग के अतिरिक्त सचिव आनंद शेखर, आदिवासी कल्याण सचिव कृपानंद झा, योजना सचिव मुकेश कुमार, विशेष सचिव राजीव रंजन, और छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, ओडिशा एवं झारखंड के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।