तिरुलडीह गोलीकांड की 43वीं पुण्यतिथि: धनंजय-अजीत को शहीदों की श्रेणी में शामिल करने की मांग

तिरुलडीह गोलीकांड की 43वीं पुण्यतिथि: धनंजय-अजीत को शहीदों की श्रेणी में शामिल करने की मांग

तिरुलडीह गोलीकांड की 43वीं पुण्यतिथि: धनंजय-अजीत को शहीदों की श्रेणी में शामिल करने की मांग
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By : स्वराज पोस्ट | Edited By: Urvashi
: Oct 21, 2025, 1:00:00 PM

आज तिरुलडीह गोलीकांड में शहीद हुए छात्र धनंजय महतो और अजीत महतो की पुण्यतिथि के अवसर पर जेएलकेएम के केंद्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष देवेंद्र नाथ महतो ने सैकड़ों समर्थकों के साथ शहादत स्थल पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

इस अवसर पर देवेंद्र नाथ महतो ने बताया कि 21 अक्टूबर 1982 को झारखंड अलग राज्य आंदोलन और कोल्हान क्षेत्र में जंगल बचाओ आंदोलन के चरम पर होने के समय, छात्रों ने चांडिल, नीमडीह और ईचागढ़ प्रखंड को अकालग्रस्त घोषित करने तथा अन्य मांगों को लेकर इचागढ़ के तिरुलडीह अंचल में शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया था। उस समय पुलिस ने बिना किसी चेतावनी के फायरिंग कर दी थी, जिसमें चांडिल कॉलेज के छात्र धनंजय महतो और अजीत महतो शहीद हो गए।

देवेंद्र नाथ महतो ने कहा कि पुलिस का यह कृत्य छात्रों और ग्रामीणों पर दबाव डालने के लिए था। फायरिंग के बाद 41 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 36 घंटे तक बिना खाना-पीना के हिरासत में रखा गया। घटना के बाद शव गांव लाने तक कोई तैयार नहीं था, तब निर्मल महतो ने स्वयं ट्रक से शव लाकर उन्हें मुखाग्नि दी।

उन्होंने आगे कहा कि धनंजय महतो की कुछ महीने की पुत्र उपेंद्र बचा और अजीत महतो अविवाहित थे। उनकी शहादत ने पूरे झारखंड क्षेत्र को आंदोलित कर दिया था। इस घटना के बाद कई नेताओं जैसे कर्पूरी ठाकुर, जार्ज फर्नाडिस, रामविलास पासवान और शिबू सोरेन ने तिरुलडीह का दौरा किया। गोलीकांड के खिलाफ आंदोलन भी हुए, और ग्रामीणों ने सरकारी सहायता लेने से मना कर दिया।

देवेंद्र नाथ महतो ने सरकार से आग्रह किया कि धनंजय महतो और अजीत महतो को आधिकारिक रूप से झारखंड आंदोलनकारी और शहीद का दर्जा प्रदान किया जाए, ताकि उनकी शहादत का सम्मान किया जा सके।