कार्तिक अमावस्या की रात्रि को तांत्रिक विद्या की सिद्धि प्राप्ति का सर्वोत्तम अवसर माना जाता है। इस रात जब देशभर में दीपावली की रोशनी छाई रहती है, तब कई साधक श्मशान की ओर रुख करते हैं। हजारीबाग का खिरगांव स्थित श्मशान घाट इस साधना के लिए विशेष पहचान रखता है। यहां दीपावली की रात लोग मां काली का आशीर्वाद पाने आते हैं, जबकि तांत्रिक साधक श्मशान में साधना करके सिद्धि की प्राप्ति का प्रयास करते हैं। हजारीबाग की श्मशान काली को तंत्र विद्या की देवी के रूप में पूजा जाता है।
दीपावली की रात सिद्धि साधना का अवसर
देशभर से आते हैं तांत्रिक साधक
मंदिर के पीछे का क्षेत्र श्मशान भूमि है। दीपावली की रात यहां दूर-दराज के तांत्रिक पहुंचते हैं और अपनी गुप्त साधना करते हैं। साधकों की साधना में कोई व्यवधान न हो, इसका ध्यान भूतनाथ मंडली रखती है। बताया जाता है कि साधक मौन होकर साधना पूरी करने के बाद बिना किसी दिखावे के वहां से निकल जाते हैं, क्योंकि यह स्थल सिद्धिप्राप्ति के लिए पवित्र माना जाता है।
पंचमुंडी आसन का रहस्य
मां काली के महान उपासक इलाइचिया बाबा ने यहां पंचमुंडी आसन की स्थापना की थी। कहा जाता है कि इस आसन पर केवल तांत्रिक साधक ही ध्यान-पूजा कर सकते हैं। यह आसन मंदिर के भूमिगत गर्भगृह में स्थित है, जो इसे अन्य श्मशान काली मंदिरों से अलग बनाता है। भूमिगत यह साधना स्थल रहस्यमय और शक्तिप्रद माना जाता है।
महिलाओं का प्रवेश निषिद्ध
दीपावली की रात यहां विशेष तांत्रिक पूजा की जाती है। भूमिगत गर्भगृह में आम लोगों का प्रवेश वर्जित है। केवल पुजारी और साधक ही सिद्धि के लिए वहां जा सकते हैं। नियमपालन करने वाले भक्तों को पुजारी अनुमति देकर दर्शन करवाते हैं, जबकि महिलाओं का मंदिर के अंदर प्रवेश पूरी तरह निषिद्ध है। अमावस्या की रात मंदिर के पट खुलते हैं और साधक तंत्र-साधना में लीन हो जाते हैं।
मनोकामना पूर्ण करने वाली श्मशान काली
स्थानीय मान्यता के अनुसार, हजारीबाग की श्मशान काली भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। गृहस्थ लोग माता के आशीर्वाद के लिए आते हैं, वहीं तांत्रिक साधक सिद्धि प्राप्ति हेतु यहां साधना करते हैं। यही कारण है कि यह मंदिर न केवल तंत्र विद्या के केंद्र के रूप में बल्कि श्रद्धा और भक्ति के प्रतीक के रूप में भी दूर-दूर तक प्रसिद्ध है।