ACB को विनय चौबे के खिलाफ मिले सबूत, सेवायत भूमि की अवैध खरीद-बिक्री से जुड़ा है मामला

ACB को विनय चौबे के खिलाफ मिले सबूत, सेवायत भूमि की अवैध खरीद-बिक्री से जुड़ा है मामला

 ACB को विनय चौबे के खिलाफ मिले सबूत, सेवायत भूमि की अवैध खरीद-बिक्री से जुड़ा है मामला
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By : स्वराज पोस्ट | Edited By: Urvashi
: Oct 11, 2025, 12:03:00 PM

हजारीबाग में भूमि घोटालों की जांच कर रही एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने IAS विनय चौबे के डीसी पद पर रहते हुए शामिल होने वाले दो प्रमुख मामलों का खुलासा किया है। पहला मामला सेवायत भूमि की अवैध खरीद-बिक्री से जुड़ा है, जिसका केस नंबर 9/2025 है। इस मामले को ACB ने जुलाई 2025 में दर्ज किया था। इस घोटाले में विनय चौबे के साथ उनके करीबी माने जाने वाले ऑटोमोबाइल व्यवसायी विनय सिंह भी आरोपी हैं।

दूसरा मामला वन भूमि की नियमविरुद्ध खरीद-बिक्री और म्यूटेशन से संबंधित है, जिसका केस नंबर 11/2025 है। इस केस में विनय सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है। तत्कालीन सीओ अलका कुमारी के कबूलनामे के बाद IAS विनय चौबे की मुश्किलें और बढ़ने की संभावना है।

IAS विनय चौबे के खिलाफ ACB ने जो तथ्य जुटाए हैं:

जांच में सामने आया है कि जिस सेवायत भूमि की बिक्री 23 लोगों को की गई, उसके लिए विनय चौबे ने डीसी रहते हुए रजिस्ट्री का आदेश जारी किया था। इस काम के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के पत्र संख्या 1346 (15 मई 2010) का इस्तेमाल किया गया।
ACB को यह भी पता चला कि खास महल भूमि के मामले में हाईकोर्ट ने छोटानागपुर नॉर्थ डिवीजन को स्पष्ट निर्देश दिया था कि उक्त भूमि का किसी भी व्यक्ति के नाम ट्रांसफर का आदेश न दिया जाए।

विनय सिंह के खिलाफ ACB ने जो तथ्य जुटाए हैं :

मौजा बभनभे, थाना नंबर 252, खाता संख्या-95, प्लॉट संख्या-848, रकवा 28 डी और खाता संख्या-73, प्लॉट संख्या-812, रकवा 72 डी, कुल एक-एकड़ भूमि बिनय कुमार और उनकी पत्नी स्निग्धा सिंह ने 10 फरवरी 2010 को दस्तावेज संख्या 1710 के माध्यम से खरीदी। इस भूमि का म्यूटेशन नामांकन वाद संख्या 481/2010-11 के तहत हुआ, जो विनय चौबे के डीसी रहते किया गया।
खाता संख्या-73, प्लॉट 812 रैयती भूमि है, जबकि खाता संख्या-95, प्लॉट 848 गैर-मंजरूआ जंगल भूमि है। सुप्रीम कोर्ट के WPC (202/95) 12 दिसंबर 1996 के आदेश के अनुसार, यह भूमि “deemed forest land” के अंतर्गत आती है।

जांच में यह भी पाया गया कि हजारीबाग के तत्कालीन राजस्व कर्मचारी संतोष कुमार वर्मा, अंचल निरीक्षक राजेन्द्र प्रसाद सिंह, अंचल अधिकारी अलका कुमारी, विक्रेता दानीन्द्र कुमार निरंजन कुमार, तथा खरीदार बिनय कुमार सिंह और उनकी पत्नी इस घोटाले में सीधे तौर पर शामिल रहे।

ACB की रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी पदाधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा अपने पद का दुरुपयोग कर गैर-मंजरूआ खास जंगल किस्म की भूमि को अवैध रूप से भूमि माफियाओं से जारी कर जमाबंदी कराई गई। इसके अलावा विक्रेता और अन्य लोग भी धोखाधड़ी और मिलीभगत में दोषी पाए गए हैं। यह कार्य निश्चित रूप से आपराधिक श्रेणी में आता है।