बंद हुआ गुमला सदर अस्पताल का ब्लड बैंक, मरीज़ परेशान

बंद हुआ गुमला सदर अस्पताल का ब्लड बैंक, मरीज़ परेशान

बंद हुआ गुमला सदर अस्पताल का ब्लड बैंक, मरीज़ परेशान
swaraj post

By : स्वराज पोस्ट | Edited By: Urvashi
: Nov 01, 2025, 10:53:00 AM

चाईबासा सदर अस्पताल में थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाने की चौंकाने वाली घटना के बाद झारखंड के स्वास्थ्य तंत्र में हड़कंप मच गया है। राज्य भर के ब्लड बैंकों की कार्यप्रणाली और खून की जांच प्रक्रिया पर अब गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग ने तत्काल कार्रवाई करते हुए रैपिड किट से खून की जांच पर रोक लगा दी है। विभाग के प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह ने आदेश दिया है कि जिन जिलों में एलाइजा (ELISA) मशीन उपलब्ध नहीं है, वहां के ब्लड बैंक अस्थायी रूप से बंद कर दिए जाएं और जल्द से जल्द एलाइजा मशीन की खरीद सुनिश्चित की जाए।

इस निर्देश के बाद गुमला जिले के ब्लड बैंक में रखे गए 206 यूनिट खून को जांच के लिए रांची भेजा गया है, जबकि जामताड़ा से 39 यूनिट खून धनबाद भेजा गया। इन जिलों में ब्लड बैंक बंद होने से मरीजों और उनके परिजनों की परेशानी कई गुना बढ़ गई है।

गुमला की निर्मला देवी, जिन्होंने हाल ही में बेटे को जन्म दिया है, को खून की सख्त जरूरत थी, लेकिन ब्लड बैंक बंद होने के कारण उन्हें खून नहीं मिल पाया। उनकी जान को लेकर परिवार के लोग बेहद चिंतित हैं। निर्मला के पिता बंधु साहू ने कहा, “अगर समय पर खून नहीं मिला तो मेरी बेटी की जान खतरे में पड़ सकती है।”

राज्य में इस समय कुल 82 ब्लड बैंक संचालित हैं, जिनमें से 45 बिना लाइसेंस के चल रहे हैं। कई जिलों में जांच की समुचित व्यवस्था नहीं होने से मरीजों को निजी ब्लड बैंकों का सहारा लेना पड़ रहा है, जहां ऊंचे दाम पर खून बेचा जा रहा है।

गुमला, लोहरदगा, जामताड़ा जैसे जिलों में जहां केवल एक ही ब्लड बैंक मौजूद है, वहां की स्थिति सबसे गंभीर है। थैलेसीमिया और अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को बार-बार चक्कर काटने पड़ रहे हैं।

स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख निर्देश:

  • रैपिड किट से खून की जांच तत्काल बंद की जाए।

  • जिन जिलों में एलाइजा मशीन नहीं है, वहां ब्लड बैंक अस्थायी रूप से बंद रहें।

  • खून की जांच नजदीकी जिलों में कराई जाए।

फिलहाल गुमला समेत कई जिलों में ब्लड बैंकों के बंद होने से इलाज व्यवस्था बाधित हो गई है, जिससे मरीजों और अस्पतालों दोनों के सामने गंभीर संकट खड़ा हो गया है।