पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला प्रखंड के मुसाबनी की बेटी मालती हेम्ब्रम ने अपने कठिन संघर्ष, समर्पण और अदम्य प्रतिभा के बल पर झारखंड का नाम अंतरराष्ट्रीय मंच पर रोशन किया है। सीमित साधनों और ग्रामीण परिवेश में पली-बढ़ी मालती ने यह साबित कर दिखाया कि मजबूत इरादों और कड़ी मेहनत से हर लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
हाल ही में बर्लिन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए मालती ने युवाओं की आवाज़ बनकर देश की ओर से भाग लिया। दीपावली के मौके पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता एवं पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी, मुसाबनी प्रखंड अध्यक्ष प्रधान सोरेन और पार्टी के अन्य कार्यकर्ता उनके घर पहुंचे और उन्हें सम्मानित किया। इस दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मालती से फोन पर बात की और उन्हें उनकी उपलब्धि पर हार्दिक बधाई दी।
मुख्यमंत्री ने कहा, “आपने जिस साहस और आत्मविश्वास के साथ अंतरराष्ट्रीय मंच पर झारखंड और भारत का प्रतिनिधित्व किया है, वह पूरे राज्य के लिए गर्व की बात है। राज्य सरकार आपके हर प्रयास में सहयोग के लिए हमेशा तैयार रहेगी।” उन्होंने मालती को दीपावली की शुभकामनाएं भी दीं।
बर्लिन सम्मेलन में मालती हेम्ब्रम ने संवैधानिक मूल्यों, प्रशासनिक पारदर्शिता और शिक्षा में समान अवसर जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी राय निर्भीकता से रखी। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भारत का आदिवासी समुदाय न केवल अपनी संस्कृति और परंपराओं का रक्षक है, बल्कि राष्ट्र की प्रगति में एक सशक्त बौद्धिक साझेदार भी है। उनके विचारों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली।
मालती ने दुनिया के सामने आदिवासी समाज की उस छवि को प्रस्तुत किया, जिसमें परंपरा और आधुनिकता का सुंदर संगम दिखाई देता है। उनकी यह उपलब्धि झारखंड ही नहीं, बल्कि पूरे देश के युवाओं और विशेष रूप से आदिवासी समुदाय के लिए प्रेरणादायक उदाहरण बन गई है।
आज मालती हेम्ब्रम सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि उम्मीद और प्रेरणा की मिसाल हैं। उन्होंने यह सन्देश दिया है कि छोटे गाँवों से भी बड़ी आवाज़ें उठ सकती हैं, बशर्ते विश्वास और हौसले मजबूत हों। सीमित संसाधनों में पले-बढ़े परिवार से निकलकर मालती ने यह दिखा दिया कि असंभव कुछ भी नहीं—सिर्फ सपनों को साकार करने की जिद और लगन चाहिए।