'आज बादलों ने फिर साजिश की..', सामने आई कुशवाहा की कसक, एक्स पर शेयर किया दर्द

उपेंद्र कुशवाहा ने एक्स पर लिखा-आज बादलों ने फिर साजिश की,जहां मेरा घर था वहीं बारिश की । अगर फलक को जिद है बिजलियां गिराने की, तो हमें भी जिद है वहीं पर आशियां बसाने की

'आज बादलों ने फिर साजिश की..', सामने आई कुशवाहा की कसक, एक्स पर शेयर किया दर्द
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By : स्वराज पोस्ट | Edited By: Karishma Singh
: Oct 13, 2025, 12:32:00 PM

एनडीए में सीट शेयरिंग के फॉर्मूले से इसके दो अहम घटक दल, उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) और  जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) खुश नहीं है। उन्हें उम्मीद और मांग के मुताबिक सीटें नहीं मिल पाईं। अब उपेंद्र कुशवाहा और मांझी दोनों अपना दर्द शेयर कर रहे हैं। मांझी तो खुलकर कह चुके हैं कि हमें कम आंका गया, लेकिन जब तक सांसद हैं मोदी के साथ हैं, ये बात कहकर एनडीए के साथ मजबूती से बने रहने का संकेत दिया।

लेकिन दूसरी ओर उपेंद्र कुशवाहा की कसक कम नहीं हो रही है। उन्होंने पिछले 11 घंटे में दो पोस्ट डाला और दोनों में उनकी कसक उभर कर सामने आई है। उन्होंने ताजा पोस्ट में शेरो-शायरी के जरिए अपना दर्द साझा किया है। उपेंद्र कुशवाहा ने एक्स पर लिखा-आज बादलों ने फिर साजिश की,जहां मेरा घर था वहीं बारिश की । अगर फलक को जिद है बिजलियां गिराने की, तो हमें भी जिद है वहीं पर आशियां बसाने की

उपेंद्र कुशवाहा ने इससे पहले देर रात भी सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट डाला था जिसमें उनका दर्द झलका था। उन्होंने एनडीए सीट शेयरिंग को लेकर अपने समर्थकों से माफी मांगी थी और कहा था कि कई घरों में आज रात खाना नहीं बना होगा। इसके साथ ही उन्होंने अपनी विवशता भी जाहिर की थी। उन्होंने लिखा-'आप सभी से क्षमा चाहता हूं। आपके मन के अनुकूल सीटों की संख्या नहीं हो पायी। मैं समझ रहा हूं, इस निर्णय से अपनी पार्टी के उम्मीदवार होने की इच्छा रखने वाले साथियों सहित हजारों - लाखों लोगों का मन दुखी होगा। आज कई घरों में खाना नहीं बना होगा। परन्तु आप सभी मेरी एवं पार्टी की विवशता और सीमा को बखूबी समझ रहे होंगे। किसी भी निर्णय के पीछे कुछ परिस्थितियां ऐसी होती हैं जो बाहर से दिखतीं हैं मगर कुछ ऐसी भी होती हैं जो बाहर से नहीं दिखतीं। हम जानते हैं कि अन्दर की परिस्थितियों से अनभिज्ञता के कारण आपके मन में मेरे प्रति गुस्सा भी होगा, जो स्वाभाविक भी है।आपसे विनम्र आग्रह है कि आप गुस्सा को शांत होने दीजिए, फिर आप स्वयं महसूस करेंगे कि फैसला कितना उचित है या अनुचित। फिर कुछ आने वाला समय बताएगा। फिलहाल इतना ही।