पटना की राजनीति इन दिनों एक बार फिर पोस्टर वार की जद में आ गई है। राजधानी की सड़कों पर लगे नए पोस्टर ने माहौल गर्मा दिया है। ये पोस्टर जनसुराज और इसके संस्थापक प्रशांत किशोर को सीधे निशाने पर लेते हैं। पोस्टर में बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा गया है—“चारा चोर से भी बड़ा चोर प्रशांत किशोर”। यहीं नहीं, जनसुराज को “भ्रष्टाचारी, अपराधी और दुराचारी का गढ़” बताते हुए गंभीर आरोप भी लगाए गए हैं।
पोस्टर में यह दावा किया गया है कि जनता से चंदे के नाम पर ठगे गए 32 करोड़ रुपये से पाटलिपुत्र कॉलोनी में जमीन खरीदी गई है। पोस्टर में प्रशांत किशोर के साथ दो अन्य नेताओं की भी तस्वीरें छपी हैं। इनमें रामबली चंद्रवंशी को “अप्राकृतिक दुराचार का आरोपी” और किशोर मुन्ना को “अपराधी” बताया गया है।
चौंकाने वाली बात यह है कि ये पोस्टर बीजेपी ऑफिस के नजदीक लगाए गए हैं। लेकिन अब तक यह साफ नहीं हुआ है कि इन पोस्टरों को किसने और किस मकसद से लगाया। राजनीतिक गलियारे में तरह-तरह की चर्चाएं हैं। एक ओर, इसे विपक्ष द्वारा जनसुराज और प्रशांत किशोर की बढ़ती राजनीतिक सक्रियता को रोकने की कोशिश बताया जा रहा है। वहीं, दूसरी ओर, इसे पटना में पोस्टर पॉलिटिक्स का नया एपिसोड माना जा रहा है।
कुल मिलाकर, पटना में लगे इन पोस्टरों ने न सिर्फ जनसुराज बल्कि बिहार की सियासत को एक बार फिर विवाद और आरोप-प्रत्यारोप की आग में झोंक दिया है। अब देखना होगा कि इस पूरे मामले पर प्रशांत किशोर और जनसुराज की तरफ से क्या प्रतिक्रिया आती है।